नीतीश सरकार ने मदरसे के 15 लाख बच्चों के लिए लिया बड़ा फैसला, अब होगा ये खास काम…
नई दिल्ली. मदरसे (Madarsa) के 15 लाख से ज़्यादा बच्चों के लिए बिहार सरकार (Bihar Government) ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले के बाद से मदरसे के बच्चों को अब कोई पिछड़ा नहीं कहेगा. मदरसे के दाढ़ी-टोपी वाले छात्र भी अब अप-टू डेट साहब बन सकेंगे. उर्दू-अरबी (Urdu-Arbi) के साथ साइंस विषय लेकर लैब में नए-नए एक्सपेरिमेंट भी करेंगे. इंग्लिश (English) में बात करते हुए अपनी खूबियों से वाकिफ कराएंगे. सरकार के इस फैसले को एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.
4 हज़ार मदरसों में पढ़ते हैं 15 लाख बच्चे
हाल ही में बिहार के मदरसा शिक्षा बोर्ड को लेकर लोकसभा में एक सवाल उठा था. इस सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने जवाब देते हुए बताया कि बिहार में 4 हज़ार पंजीकृत मदरसे हैं. इसमे से 1942 मदरसे सरकारी हैं, मतलब सरकार द्वारा दी जाने वाली ग्रांट पर चलते हैं. सभी 4 हज़ार मदरसों में 15 लाख से ज़्यादा बच्चे पढ़ते हैं. इन्हीं उर्दू-अरबी पढ़ने वाले मदरसे के बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह बड़ा कदम उठाया गया है.
मदरसे के लिए यह बनाया गया है शिक्षा का पैटर्न
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल के अनुसार कक्षा एक से ही मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को उर्दू-अरबी के साथ ही हिंदी, इंग्लिश और गणित भी पढ़ाई जाएगी. इसके लिए एससीईआरटी के सिलेबस को मदरसों के लिए लागू किया गया है. वहीं एससीईआरटी के सिलेबस पर आधारित एनसीईआरटी की किताबें मदरसों में बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं. इतना ही नहीं कक्षा 10वीं में आने पर मदरसे के छात्रों को ऑर्टस, साइंस और कॉमर्स में से कोई भी एक विषय चुनने की आज़ादी होगी. उर्दू-अरबी पढ़ने के साथ ही छात्र जो भी विषय पढ़ना चाहेंगे वो कक्षा दस में ले सकेंगे.
मदरसे के टीचर्स को ऐसे दी ट्रेनिंग
मदरसे के बच्चों के साथ ही उनके शिक्षक भी अपटेड रहें और शिक्षा में होने वाले हर एक बदलाव से वाकिफ रहें इसके लिए समय-समय पर उन्हें भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसी के चलते ही कोविड-19 और लॉकडाउन के दौरान मदरसे के बच्चों की पढ़ाई बीच में छूट न जाए इसके लिए मदरसे के 10 हज़ार टीचर्स को ऑनलाइन क्लास चलाने की ट्रेनिंग दी गई. ऑनलाइन बच्चों को कैसे पढ़ाया जा सकता है और किस-किस सामान की जरूरत होती है यह सब भी बताया गया.