क्या खुद पर किताब लिखेंगे इमरान हाशमी? इस सवाल पर एक्टर ने दिया ये जवाब

कोरोना काल में कई कलाकारों की फिल्में डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुईं। वहीं इमरान हाशमी अभिनीत फिल्म ‘मुंबई सागा’ और ‘चेहरे’ इस साल थिएटर में रिलीज हुई। उन्होंने करियर की शुरुआत में ‘राज’, ‘राज रीबूट’, ‘एक थी डायन’ सहित कई हारर फिल्में की थीं। अब उनकी हारर फिल्म ‘एज्रा’ भी बनकर तैयार है…

‘एज्रा’ साल 2017 में इसी नाम से बनी मलयालम फिल्म की हिंदी रीमेक है। इसका निर्देशन मूल फिल्म के निर्देशक जय कृष्णन ने ही किया है। हारर फिल्में करने को लेकर इमरान कहते हैं, ‘एज्रा’ बेहतरीन फिल्म है। हारर में अगर आप टिपिकल चीजें करेंगे तो आडियंस उसे पसंद नहींकरेगी। इस फिल्म में जिस तरह से हारर सीन शूट किए गए हैं, कहानी कही गई है, उसमें नयापन है। मुझे यकीन है कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी। वैसे भी हमारे यहां विशुद्ध हारर जानर में ज्यादा फिल्में बनती नहीं हैं। यह मेरे करियर की सबसे बेहतरीन हारर फिल्म होगी।’

हारर फिल्म करने पर कलाकारों को अक्सर चीजों की कल्पना करके अभिनय करना पड़ता है। उसकी वजह से कई बार उन्हें मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। इस बाबत इमरान कहते हैं, ‘मुझे हारर फिल्में सबसे आसान लगती हैं। इसे लेकर किसी किस्म का मानसिक दबाव नहीं होता है। हालांकि यह सही है कि ये डार्क फिल्में होती हैं। इसलिए कभी-कभी आपकी मन:स्थिति पर असर पड़ता है। हारर फिल्म के किसी सीन में अगर आप लगातार चिल्ला रहे हों तो आप उस मूड में घर वापस जाएंगे। खुद का इमोशनल टेस्ट होता है तो उसका असर आता है। मेरी पहली फिल्म ‘फुटपाथ’ में मेरा बहुत ही इंटेंस कैरेक्टर था। हर सीन में चीखना-चिल्लाना था तो उस किरदार को मैं घर लेकर जाता था। घर पर लोगों से झगड़ा करता था। उसके बाद आहिस्ता-आहिस्ता समझना शुरू किया कि किरदार को सेट पर छोड़कर घर वापस आओ।’

कोरोना काल में काम न मिलने की असुरक्षा जैसे कई सवाल कलाकारों को मथते रहे। असुरक्षा के सवाल पर इमरान कहते हैं, ‘यह तो हम सबको महसूस होती है। असुरक्षा की भावना सिर्फ हमारे क्षेत्र में नहीं बल्कि सभी जगह होती है। हमारी इंडस्ट्री अस्थिर है। यहां पर हर शुक्रवार तय होता है कि इंडस्ट्री में आपका स्टेटस क्या है। भले ही आप बेहतरीन अभिनेता हो। आपने फिल्म में अच्छा काम किया हो, पर असुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि फिल्म बनने की प्रक्रिया में तमाम चीजें होती हैं। मसलन डायरेक्टर ने कैसे बनाया है? बाकी लोगों ने कैसा काम किया है। म्यूजिक कैसा है? रिलीज तारीख क्या है? ये सब चीजें उससे जुड़ी होती हैं। इसका जवाब कोई नहीं दे सकता कि थिएटर में आडियंस आएगी या नहीं। आपके काम को पसंद करेगी या नहीं। इसका अंदाजा आपको नहीं हो पाता। इसलिए हर एक्टर इनसिक्योर रहता है। जो यह कहता है कि वह इनसिक्योर

नहीं है वो झूठ कह रहा है।’

अपने जीवन के सफर पर किताब लिखने को लेकर इमरान कहते हैं, ‘इस बारे में अभी कुछ निश्चित नहीं कह सकता। उसके लिए अभी मेरे पास इतना मैटेरियल है नहीं, पर हो सकता है कि कुछ साल बाद इस बारे में सोचूं।’

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