Mera Gaon Mera Desh: हिंदी सिनेमा की वो कल्ट फ़िल्म जिसने रखी ब्लॉकबस्टर ‘शोले’ की बुनियाद, धर्मेंद्र ने किया याद

 हिंदी सिनेमा के उस दौर में जब डकैतों की दुस्साहसी और रोमांचक कहानियां सिल्वर स्क्रीन पर उतरना शुरू हुई थीं, मेरा गांव मेरा देश इस विषय पर बनी एक कल्ट फ़िल्म मानी जाती है, जिसने 50 साल का शानदार सफ़र पूरा कर लिया है। राज खोसला निर्देशित फ़िल्म 25 जून 1971 को रिलीज़ हुई थी।

मेरा गांव मेरा देश में धर्मेंद्र, आशा पारेख और विनोद खन्ना ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं। यह फ़िल्म इसलिए भी याद रखी जाती है, क्योंकि इसी फ़िल्म की कहानी से हिंदी सिनेमा की कालजयी फ़िल्म शोले निकली थी। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि दोनों फ़िल्मों के कॉन्सेप्ट में काफ़ी समानता है। फ़िल्म जानकार, शोले को मेरा गांव मेरा देश के विषय के विस्तार के रूप में ही देखते हैं। 

मेरा गांव मेरा देश से निकली शोले

मेरा गांव मेरा देश की कहानी एक शातिर मगर बहादुर चोर अजीत के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे पूर्व फौजी हवलदार मेजर जसवंत सिंह एक चोरी के आरोप में गिरफ़्तार करवा देता है। जेल से छूटने पर जेलर की सलाह मानते हुए अजीत उसी फौजी के पास काम मांगने उसके गांव जाता है। वहां उसे पता चलता है कि उस इलाक़े में दुर्दांत डाकू जब्बार सिंह का आतंक फैला हुआ है। अजीत, जब्बार को ख़त्म करने का बीड़ा उठाता है, जिसमें जसवंत सिंह उसकी मदद करता है और ट्रेन करता है।

अब अगर शोले की बात करें तो उसमें डाकू गब्बर सिंह के बदला लेने के लिए ठाकुर जय और वीरू नाम के दो छोटे-मोटे अपराधियों को अपने गांव बुलाता है। रमेश सिप्पी निर्देशित शोले 1975 में रिलीज़ हुई थी और हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी सफलताओं में शामिल हुई।

धर्मेंद्र ने मेरा गांव मेरा देश को याद करते हुए लिखा- 50 साल, 50 लम्हे बनकर गुज़र गये। मेरा गांव मेरा देश के 50 साल याद दिलाने के लिए शुक्रिया मेरे दोस्तों।

मेरा गांव… में ‘गब्बर सिंह’ के पिता ने निभाया था ठाकुर वाला किरदार

शोले में जय और वीरू के किरदार में जहां अमिताभ बच्च और धर्मेंद्र नज़र आये थे। वहीं, ठाकुर का किरदार संजीव कुमार ने निभाया था, जो जय और वीरू को गब्बर सिंह का ख़ात्मा करने के लिए रामगढ़ लेकर आता है। यह कुछ वैसा ही किरदार है, जो मेरा गांव मेरा देश में जयंत ने निभाया था। संयोग देखिए, जयंत शोले में खूंखार डाकू गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अमजद ख़ान के पिता थे। 

मार दिया या जाए… हिट रहा था संगीत

मेरा गांव मेरा देश का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था और गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे। फ़िल्म का संगीत हिट रहा था और आज भी इसके गीत लोकप्रिय हैं। अपनी प्रेम कहानियां, कुछ कहता है यह सावन, मार दिया जाए… ऐसे गीत हैं जो आज भी सुनने वालों को मदहोश करने की क्षमता रखते हैं।

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