मुंबई : तंग हाथों से पेश होगा होगा मुंबई महानगरपालिका का बजट

मुंबई : देश में आर्थिक रूप से सबसे मजबूत मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) का वर्ष 2021-22 का बजट 3 फरवरी को पेश होगा। इस बार बीएमसी के बजट पर सत्ताधारी शिवसेना, विपक्षी बीजेपी, कांग्रेस, राकांपा सहित मुंबईकरों की विशेष रूप से नजर है। कमिश्नर आईएस चहल के लिए बजट पेश करना आसान नहीं होगा। बजट तैयार करते समय चहल पर बीएमसी की आय के स्रोत बढ़ाने का दबाव है, तो मुंबईकरों की उम्मीदों पर खरा उतरने की भी चुनौती है। साथ ही अगले साल होने वाले बीएमसी चुनाव का भी ध्यान रखना है।
कोरोना वायरस के कारण मुंबईकरों की हेल्थ एवं मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था और मजबूत करने की जिम्मेदारी भी चहल पर है। कोरोना से निपटने के लिए बीएमसी प्रशासन को 2 हजार करोड़ रुपये मिल चुके हैं, साथ ही अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को भी बेहतर करना होगा। पिछले वर्ष बीएमसी ने जो बजट पेश किया था और मुंबईकरों को बेहतर सुविधा देने का जो वादा किया था, उसमें से सिर्फ 48 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है।
बीएमसी में सपा गुट नेता एवं विधायक रईस शेख ने कहा कि बीएमसी की तिजोरी खाली है, लेकिन कुछ उद्योगपतियों एवं होटलों को शुल्क में छूट दी जा रही है। हमें इस बजट से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। बजट में तो वादे बहुत किए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें लागू कैसे करेंगे यह भी बताना चाहिए। वहीं, बीएमसी में बीजेपी के पार्टी नेता विनोद मिश्रा ने कहा कि सत्ताधारी दल एवं बीएमसी प्रशासन को मुंबई के विकास से कुछ लेना-देना नहीं है। जहां इनको भ्रष्टाचार का मौका मिलेगा, वहीं खर्च करने के लिए आगे बढ़ते हैं। इस बजट से हमें कोई उम्मीद नहीं है।
बीएमसी विकास योजनाओं पर आधे से भी कम खर्च कर पाई है। पिछले बजट में मुंबई में सड़कों, पुल एवं यातायात के लिए 2,210.53 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन दिसंबर 2020 तक सिर्फ 1,412 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। कोस्टल रोड के लिए 1,500.07 करोड़ रुपये में से 1,189.75 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसी तरह, पानी आपूर्ति पर 1,010.12 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन सिर्फ 346.98 करोड़ रुपये खर्च हुए। घनकचरा व्यवस्थापन एवं परिवहन पर 349.48 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन खर्च सिर्फ 75.50 करोड़ रुपये हुए। फायर ब्रिगेड एवं आपातकालीन व्यवस्था पर 120.28 करोड़ रुपये खर्च करने थे, लेकिन सिर्फ 17.99 करोड़ रुपये ही हुए।
प्राथमिक स्कूलों की मरम्मत पर 301.33 करोड़ रुपये की बजाय सिर्फ 128.15 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। अन्य के लिए 2,096.88 करोड़ रुपये तय थे, लेकिन खर्च 617.55 करोड़ रुपये हुए। कुल प्रस्तावित 11,764.62 करोड़ रुपये में से सिर्फ 5,744.70 करोड़ रुपये ही बीएमसी विकास कार्यों पर खर्च कर पाई। वहीं, वर्ष 2020- 21 के बजट में उम्मीद से कम रेवेन्यू आया है। दिसंबर 2020 तक लक्ष्य का सिर्फ 40.83 प्रतिशत ही राजस्व हासिल हुआ।

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