विरार : दूर दराज के क्षेत्रों से ड्यूटी के लिए बसों में 2 किमी लंबी लाईन

विरार : कोरोना संकट के बीच विरार, टिटवाला, पनवेल जैसे दूर दराज के क्षेत्रों से मुंबई ड्यूटी करने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है. 4 महीने घर बैठने के बाद अब उनके सामने दुबारा ड्यूटी पर जाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा है. अनलॉक के बाद राज्य सरकार ने लोकल में सफर की अनुमति अभी नहीं दी है. बसों में आम लोगों को यात्रा की अनुमति दी गई है, लेकिन लाखों यात्रियों को ढोने वाली लोकल के मुकाबले मात्र कुछ हजार एसटी, बेस्ट और टीएमटी की बसें इतनी बड़ी तादाद में यात्रियों को गंतव्य तक ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं पड़ रही हैं. इन इलाकों से मुंबई पहुंचने के लिए 2 किमी लंबी लाइन में घंटों खड़ा रहने के बाद बस मिलती भी है तो कुछ किमी के बाद फिर से बस बदलना पड़ रहा है.
एक लॉकडाउन के समय बेस्ट की बसें कोविड योद्धाओं के विरार और पनवेल तक चलाई जाती थी. लोकल शुरू होने के बाद बेस्ट की बसों को लंबे रुट पर बंद कर दिया गया. यात्रियों से बात करने पर पता चला कि विरार, कल्याण अथवा पनवेल से मुंबई पहुंचने के लिए कम से कम तीन बार बस बदलना पड़ता है. पूरा समय बस पकड़ने और बदलने में नष्ट हो जा रहा है. परेल में काम करने वाले कल्याण के निवासी ने बताया कि उन्हें कंपनी में हफ्ते में 3 दिन आने को बोला गया है और हम जाना भी चाहते हैं पर जाने का साधन ही नहीं उपलब्ध है.
बेस्ट अधिकारी के अनुसार मुंबई में आज की तारीख में 3451 बसें रोज यात्रियों की सेवा में लगी हैं. मुंबई में अभी उतनी समस्या नहीं है. एमएमआर के कुछ इलाकों के लिए बेस्ट की बसें मर्यादित संख्या में चलाई जा रही हैं. अभी बेस्ट की बसें ठाणे के केडबरी जंक्शन और नई मुंबई के नेरुल और बेलापुर तक चल रही हैं, लेकिन उनकी संख्या सिमित हैं. बेस्ट डिपो को अधिकार दिया गया है कि जिस रुट पर यात्रियों की संख्या के अनुसार बसों को घटा-बढ़ा सकते हैं.
मुंबई में ड्यूटी करने वाले या मुंबई से उपनगरों में ड्यूटी करने वालों के लिए कार्यालय पहुंचना ही चुनौती बन गया है. लोकल ट्रेनों में यात्रा करने कि अनुमति देने की मांग लगातार हो रही है. काम पर नहीं पहुंच पाने के कारण लोग अपना संयम खोते जा रहे हैं. विरार स्टेशन पर लोकल शुरू करने के लिए अपनी आवाज को सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म पर घंटों नारेबाजी करनी पड़ी थी.
बस स्टाप पर घंटों इंतजार के बाद जरूरी नहीं कि सभी को बस मिल जाए. भीड़ इतनी कि दो से तीन किमी लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है. लोगों का गुस्सा इस बात से है कि बसों में ठूंस कर लोग जा रहे हैं तो इनसे कोरोना नहीं फैल रहा है. लोगों कहना है कि ऐसा क्या है कि लोकल में यात्रा करने से कोरोना फैल जाएगा. दूसरे राज्यों में मेट्रो भी शुरु हो गई है तो यहां लोकल क्यों नहीं शुरु हो सकती है. पहले से ही भुखमरी की नौबत आ गई है. अब क्या सरकार जान लेकर रहेगी.

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