पालघर : गांवों में हो रही है लाउडस्पीकर से पढ़ाई

पालघर : पालघर से सटे पालघर इलाके में स्कूल जाने वाले छात्रों को पढ़ाई करवाने के लिए एक नया तरीका इजाद किया गया है। यहां के गांवों में अब आदिवासी बच्चों को लाउडस्पीकर की मदद से पढ़ाया जा रहा है। इस नए तरीके से कई गांव के बच्चों का फायदा हो रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा न होने की वजह से यह तरीका कारगर साबित हो रहा है। पूरा देश फिलहाल कोरोना महामारी की वजह से परेशान है। महाराष्ट्र उनमें से एक सबसे ज्यादा पीड़ित प्रदेश है।लोगों की वजह से राज्य में जहां स्कूल कॉलेज छोटे बच्चों के लिए बंद है। वहीं कई जगहों पर ऑनलाइन क्लास से शुरू होने के बाद भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। क्योंकि इन बच्चों के पास में स्मार्टफोन नहीं था। अब इसी समस्या को हल करने के लिए आदिवासी इलाकों में बच्चों को लाउडस्पीकर की मदद से पढ़ाया जा रहा है। पालघर जिले में जव्हार और मोखाडा तहसील के कामों में जाकर रोजाना सैकड़ों बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। लाउडस्पीकर को मोटरसाइकिल पर बांधकर अलग-अलग गांव में ले जाया जाता है। शिक्षा के इन सिपाहियों को अब गांव वालों ने स्पीकर टीचर भी कहना शुरू कर दिया है।

पालघर जिले के गांवों में इस नई तकनीक के जरिए हो रही पढ़ाई अब बच्चों को भी पसंद आने लगी है। स्कूली छात्रों का कहना है कि अब तक वह पढ़ाई नहीं करते थे लेकिन जब से स्पीकर गुरु गांव में आए हैं। तब से हमें कविताएं अंग्रेजी और बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। यह पढ़ाई सुबह तकरीबन 8:00 बजे से शुरू की जाती है। दिगंता स्वराज फाउंडेशन की कोशिश को अब अच्छे परिणाम मिलने शुरू हुए हैं। संस्था के डायरेक्टर बताते हैं कि इलाके में ज्यादातर ऐसे परिवार हैं जो बेहद ही गरीब हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों ने कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा है। लेकिन आज इन बच्चों को हम शिक्षा के नजदीक लाने का प्रयास कर रहे हैं। यह बच्चे इस पढ़ाई को काफी पसंद भी कर रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए हम एक दिन पहले ही सभी जरूरी पाठ्यक्रम को स्पीकर में रिकॉर्ड कर लेते हैंऔर उसके बाद बच्चों को पढ़ाया जाता है।

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