किसानों के लिए बने कृषि न्यायालय, किसान महासभा की मांग
मुंबई, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून का पूरे देश में विरोध कर चुकी किसान सभा ने अब महाराष्ट्र सरकार से गुहार लगाई है कि वह किसानों के लिए विशेष कृषि न्यायालय का गठन करें। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह प्रस्ताव किसान महासभा की तरफ से दिया गया।
किसानों को धोखाधड़ी से बचाने बने कृषि न्यायालय
किसान महासभा का कहना है कि किसानों को धोखाधड़ी और लूटमार से बचाने के लिए राज्य में कृषि न्यायालय का होना बहुत आवश्यक है। केंद्र सरकार के कृषि कानून और राज्य की विपणन नीति किसानों की राय जानने के लिए मुख्यमंत्री ने मुंबई के सहयाद्री गेस्ट हाउस में किसान सभा के प्रतिनिधियों को बुलाया था। इस बैठक में राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। जिनमें अजित पवार, अशोक चव्हाण समेत कई मंत्री और किसान संगठन के नेता शामिल थे।
कृषि न्यायालय से किसानों का समय बचेगा
किसान महासभा ने कहा कि किसानों की फसल का पैसा डूबने पर और अन्य प्रकार के कृषि से जुड़े अदालत के कामों में खर्च होने वाला समय कृषि न्यायालय के बनने से बचेगा और किसानों को फायदा भी होगा। इस प्रकार के न्यायालय की मांग किसान एक लंबे अरसे से करते आ रहे हैं
कृषि कानून के जरिए कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट जगत को लाने का प्रयास
किसानों का यह आरोप भी है कि केंद्र सरकार कृषि कानून के जरिए कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट जगत को लाने का प्रयास कर रही है। जिसके जरिए धीरे-धीरे किसानों को कॉर्पोरेट जगत का गुलाम बनाया जाएगा। ऐसे समय में किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। किसानों को स्वतंत्र व्यापार करने का भी अधिकार मिलना चाहिए। ताकि वह बाजार समिति के बाहर भी अपने उत्पादों को बेच सकें और मुनाफा कमा सकें। किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानून के जरिए किसी विवाद में सिविल कोर्ट में जाने के अधिकार को भी छीनने का प्रयास इस कानून में किया गया है।