प्रदूषण के लिए डीजल वाहन जिम्मेदार…
मुंबई : दिन-प्रतिदिन हवा में प्रदूषण का जहर घुलता जा रहा है। शहरभर में डीजल से चलनेवाले वाहनों से प्रदूषण अन्य वाहनों की अपेक्षा कई गुना अधिक होता है। रोजाना उपनगरीय क्षेत्रों से यात्रा करनेवाले यात्रियों ने बताया कि प्रदूषण से वातावरण इस कदर हो गया है कि आंखों में जलन होने लगी है। अचानक से सरकार प्रदूषण के लिए शहर में हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर को वजह बताया, लेकिन शहर में हो रहा वायु प्रदूषण सिर्फ किसी एक वजह से नहीं है। वायु प्रदूषण के लिए पुराने वाहन भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितनी कोई अन्य पहलू है।
पिछले महीने सरकार के किसी कार्यक्रम में डीजल वाहन का उपयोग होते हुए पाया गया था। इसके अलावा एमएसआरटीसी की अधिकांश बसें डीजल से चलती हैं, जिनमें पीछे से काले धुएं निकलते हुए लोगों द्वारा देखा जाता है। हाल ही में बस चालकों के हड़ताल की समय एसटी बसों को बेस्ट बसों की जगह पर इस्तेमाल किया गया था।
जानकारी के अनुसार, एसटी के बेड़े में डीजल बसों की संख्या १५,००० है, वहीं इलेक्ट्रिक बसों की संख्या १०० और सीएनजी बसों की संख्या १५० है। बता दें कि युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने एसटी और बेस्ट की इलेक्ट्रिक बसें चलाने का सुझाव दिया था।
नागरिकों द्वारा अचानक से प्रदूषण का मुद्दा गंभीरता से लेने के बाद सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कई नियम निकाले, जो इंफ्रा से संबंधित काम करनेवालों को फॉलो करना है। उपनगर क्षेत्रों में कई ऐसे प्लांट थे, जो पूरी तरह से खुला हुआ करते थे। अचानक से उन जगहों पर ग्रीन परदे लगा दिए गए हैं।
एक स्पेशलिस्ट ने बताया कि कंस्ट्रक्शन वाली जगहों से पीएम २.५ जितना, जिसका वजन हमारे बालों के वजन से कई गुना कम होता है। वैसे डस्ट पार्टिकल उड़ते हैं, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।
वायु गुणवत्ता का स्तर इसका कदर नीचे गिरा हुआ है कि आनेवाली पीढ़ी सांस में ऑक्सीजन के जगह जहर ग्रहण करेगा। प्रदूषण के मुद्दे पर बात करते हुए वातावरण फाउंडेशन के संस्थापक भगवान केसभट ने बताया कि पीआईसी में कोई डिटेल जानकारी नहीं होती और न ही गाड़ी कितनी पुरानी है, इसको कोई चेक नहीं करता। इस मुद्दे को सरकार द्वारा कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। विदेशों में अल्ट्रा एमिशन प्रोग्राम लेकिन हमारे देश में सालों पुरानी गाड़ियां चल रही हैं।