10 नवंबर से दीपोत्सव का पर्व शुरू… दीपावली पूजा में घी या तेल का दीपक ?
10 नवंबर से दीपोत्सव का पर्व शुरू हो रहा है। 10 नवंबर को धनतेरस फिर इसके बाद 12 नवंबर को दीपावली है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की प्रदोष काल में विशेष रूप से पूजा आराधना की जाएगी। दीपावली पर पूरे घर को दीयों की रोशनी से सजाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात को मां लक्ष्मी घर-घर पधारती हैं और जिस घर में साफ-सफाई और दीयों को रोशनी रहती है वहां पर विराजमान हो जाती हैं।
इसलिए दिवाली पर घर के अंदर-बाहर और हर एक कोनों में मिट्टी के दीपक खासतौर पर जलाए जाते हैं। सनातन धर्म में मिट्टी के दीयों में दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। मिट्टी के दीपक को पंचतत्वों का प्रतीक माना जाता है। मिट्टी के दीपक बनाने में सभी पंच तत्वों का प्रयोग किया जाता है। इसे बनाने में पृथ्वी, आकाश, वायु, जल और अग्नि तत्वों का इस्तेमाल होता है। इन सभी 5 तत्वों से ही पूरी प्रकृति और मानव शरीर की रचना हुई है।
सनातन धर्म में हर देवी-देवता की पूजा आरती और भोग के साथ संपन्न होती है। पूजा मंदिर की हो या घर की दोनों ही जगह दीपक जलाने का विधान है। शास्त्रों में कहा गया है कि दीपक से मनुष्य को अंधकार से उजाले की प्राप्ति होती है और अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं। जीवन के कष्ट मिटते हैं । इससे मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है।
अक्सर आपने कई जगह देखा होगा कि दीपावली के मौक पर और देवी- देवताओं के समक्ष घी और तेल दोनों तरह के दीपक जलाए जाते हैं। जिनका अलग-अलग महत्व होता है। शास्त्रों की मान्यता है कि मंत्र जाप के साथ दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और वास्तु दोष दूर होते हैं।
दीपक जलाने के नियम
दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करते समय और उनके समक्ष घी और तेल दोनों के दीपक जलाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर मां लक्ष्मी के सामने घी के दीपक को अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए वहीं तेल के दीपक को अपने दाएं हाथ की तरफ जला कर रखना होता है।
भगवान के दाहिने हाथ यानी जो आपका बायां हाथ होगा उस तरफ घी का दीपक जलाना चाहिए। वहीं अगर बात करें तेल के दीपक की तो तिल के तेल का दीपक भगवान के बाएं हाथ यानी आपके दाहिने हाथ की तरफ जलाना चाहिए।
घी का दीपक सफेद खड़ी बत्ती से जलाना चाहिए इस प्रकार की बत्ती को फूलबत्ती भी कहते हैं। तेल के दीपक की बत्ती लंबी होनी चाहिए। किसी भी पूजा का विशेष फल प्राप्त करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाएं तो उसमें लाल या पीली बत्ती लगानी चाहिए।
पूजा के दौरान जलाए जाने वाले दीपक बीच में बुझना नहीं चाहिए और इस दीपक को हमेशा भगवान की मूर्ति के ठीक सामने ही रखना चाहिए।
दीपावली पर या फिर नियमित रूप से पूजन में कभी खंडित हुए दीपक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
किस तेल या घी का दीपक देवता को कौन सा दीपक
भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, देवी दुर्गा, शिवजी और भगवान विष्णु व उनके सभी अवतारों के समक्ष पूजा के समय घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।
घी का दीपक सभी देवी-देवता को समर्पित किया जाता है, इससे देवी और देवता प्रसन्न होते हैं। आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए घी का दीपक जलाया जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा में घी का दीपक जलाने से घर में कभी पैसों की कमी नहीं होती है।
भैरव देवता की पूजा के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाने का विधान है। इससे शत्रुओं का नाश होता है।सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों का दीपक जलाया जाता है।
सरसो या तिल के तेल का दीपक शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए जलाया जाता है। तिल के तेल का दीपक मनोकामना की पूर्ति के लिए जलाया जाता है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाएं। चमेली के तेल का दीपक जलाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं,उनकी कृपा मिलती है। संकटहरण हनुमानजी का विशेष आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक जलाना चाहिए।
राहु और केतु ग्रहों की दशा को शांत करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाएं।
मंत्र – दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।