गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है मुंबई
मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। अक्टूबर में यह सबसे प्रदूषित रही है। कुछ पश्चिमी उपनगरों में एक्यूआई ३०० से अधिक बढ़ गया। विभिन्न विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने मुंबई में वायु प्रदूषण के बढ़ने के कई कारण बताए हैं। बदलते मौसम का कोहरा, अनगिनत निर्माण कार्य, भारी ट्रैफिक, सड़क की धूल और मुंबई में होटलों, बेकरियों व कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाले धुएं से प्रमुख रूप से प्रदूषण बढ़ रहा है।
हालात ऐसे हैं कि तड़के सुबह भी हवा दूषित मिल रही है। प्रदूषण नियंत्रण स्टेशन के रिकॉर्ड बताते हैं कि सुबह-सुबह भी हवाएं सांस लेने के लायक नहीं रह गई हैं। बुधवार को छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) पर लगाए गए राज्य प्रदूषण नियंत्रण मीटर ने सुबह ७ बजे हवा की गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ हो, जिससे वायु गुणवत्ता में गिरावट के कारण क्षेत्र में स्वास्थ्य चेतावनी जारी की गई।
इस बीच, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में सुबह एक्यूआई २०० दर्ज किया गया, कोलाबा और बोरीवली-ईस्ट में क्रमश: १५१ और १४१ एक्यूआई के साथ ‘मध्यम’ वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, मालाड, सायन, चेंबूर, देवनार, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और खेरवाड़ी जंक्शन मुंबई में लगातार खराब वायु गुणवत्ता वाले स्थान हैं।
एक तरफ जहां मौसम बदलने से कोहरा छाया है। कोहरा आमतौर पर सुबह ९ बजे तक छंट जाता था, लेकिन अब कुछ दिनों से प्रदूषण बढ़ने से यह सुबह ११ बजे तक या उसके बाद भी बना रहता है। मुंबई में निर्माण कार्य बड़ी संख्या में शुरू है। लगभग ६ हजार साइटों पर निर्माण कार्य हो रहा है, जिनमें से २५ फुट ऊंचाई तक पत्रे लगाए गए हैं, लेकिन उसके बाद तो धूल कण नीचे ही आते है।
मुंबई में ट्रैफिक की समस्या हमेशा से ज्यादा रही है। अब निर्माण कार्य अधिक होने से ट्रैफिक समस्या और जटिल हो गई है। सड़कों पर धूल-मिट्टी आदि के कण वाहनों के चलने से हवा में उड़ रहे हैं। इसके अलावा कई रेस्टॉरेंट, ढाबों और अन्य भोजनालयों में अशुद्ध तेलों का उपयोग करके खाना पकाने से सूक्ष्म कण उत्सर्जित हो रहे हैं, जिसके चलते नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड और फॉर्मेल्डिहाइड का उत्सर्जन बढ़ गया है।