तारापुर परमाणु संयंत्र प्रभावितों को २० साल बाद भी नहीं मिला न्याय!

पालघर : पालघर देश के समग्र विकास के लिए परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता है. इस भावना को ध्यान में रखते हुए पालघर में तारापुर परियोजना के लिए किसानों ने अपने उपजाऊ खेत और घर का मोह छोड़ दिया। इसी तरह, किसानों के अलावा बड़ी संख्या में समुद्री किनारे मछलियां पकड़ने वाले मछुआरों ने अपनी आजीविका से समझौता करते हुए विस्थापन को स्वीकार किया। लेकिन, इन दो दशक के दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्रभावितों का पुर्नवसन के लिए किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं।

स्थानीय निवासियों की विभिन्न मांगों को लेकर पालघर जिला पत्रकार संघ के पत्रकारों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना दिया। जिसमें बड़ी संख्या परियोजना से प्रभावित परिवारों और मछुआरों के संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और ग्रामीणों की मांगे तत्काल पूरी किए जाने की मांग की।

ग्रामीणों का कहना था कि आज तक प्रभावितों को सिर्फ यह आश्वासन दिया गया कि जल्द ही उनकी समस्याओं के बारे में विचार किया जाएगा। लेकिन समस्या जस की तस है। वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता रमाकांत पाटील बताते हैं कि तारापुर परमाणु बिजलीघर परियोजना से विस्थापित परिवार सालों से लंबित मांगों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पुनर्वास के तहत १,२५० प्रभावित परिवारों के लिए बनाए गए घटिया मकानों का मुद्दा केंद्र सरकार के सामने रखा गया। लेकिन आश्वाशन को छोड़कर ग्रामीणों अब तक कुछ नही मिला है।

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