शरीर के किन अंगों को कर सकते हैं दान और क्या होती है इसकी उम्र सीमा?
3 अगस्त को देश भारतीय अंगदान दिवस मना रहा है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना होता है। जिसके लिए तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अंगदान के जरिए आप किसी व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकते हैं।
अंगदान करने वाले व्यक्ति को ‘ऑर्गन डोनर’ कहा जाता है, जबकि अंग पाने वाले व्यक्ति को ‘रेसिपिएंट’ कहा जाता है। ज्यादातर केस में अंगदान रेसिपिएंट की जान बचाने के लिए जरूरी होता है, क्योंकि उसके अंग बीमारी या चोट के कारण खराब या डैमेज हो चुके होते हैं। जानते हैं अंगदान से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
शरीर के किन हिस्सों और अंगों को किया जा सकता है दान
अंगदान में शरीर के कुछ अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है। अंगों में यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, हृदय,फेफड़े और आंत जैसे अंगों का दान किया जाता है। जबकि ऊतकों में कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस, कण्डरा और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जाता है।
अंगदान के लिए उम्र की सीमा
अंगदान के लिए उम्र के साथ-साथ शरीर का भी स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। लेकिन हां, यह इस बात पर निर्भर करता है की अंगदान जीवित रहते हुए किया जा रहा है या मरने के बाद। 18 साल का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान करने योग्य है। लेकिन शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए उम्र सीमा भी अलग-अलग होती है, जो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दान किए जा सकते हैं।
अंगदान कितनी तरह का होता है?
अंगदान दो तरह से होता है। पहला जीवित रहते हुए और दूसरा मृत्यु के बाद। अंगदान के लिए पूरी वसीयत लिखी जाती है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के कौन-कौन से हिस्सों को दान किया जा सकता है। कुछ अंगों को इंसान अपनी इच्छानुसार जीवित रहते हुए दान कर सकते हैं, जिसमें से एक है गुर्दा। आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, हार्ट, पैंक्रियाज और आंत का दान मृत्यु के बाद किया जाता है।