बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश… गुमशुदा होने के आधार पर सिविल डेथ घोषित नहीं कर सकते

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सात साल से अधिक समय से लापता पति की सिविल डेथ की घोषणा की मांग करनेवाली पत्नी की अपील को खारिज कर दिया है। कई वर्षों के इंतजार के बाद जब पति की कोई खोज-खबर नहीं मिली तो पत्नी ने पहले मुंबई की सिटी सिविल कोर्ट में पति को मृत घोषित करने की गुहार लगाई, वहां से दावा खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसे वहां से भी निराश होना पड़ा।

सिविल कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2018 को महिला के पति को सिविल डेथ घोषित करने की दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद महिला हाई कोर्ट पहुंची। याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस पी. के. चव्हाण ने कहा कि उन्हें सिविल कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आ रही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पत्नी चाहे तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकती है।

जस्टिस चव्हाण ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि किसी ने महिला की कानूनी हैसियत व उसके संपत्ति से जुड़े अधिकार पर सवाल नहीं उठाया है, ऐसे में यदि उसे अपने लापता पति की संपत्ति से जुड़े रेवेन्यू रेकॉर्ड में बदलाव कर खुद का नाम दर्ज करवाना है, तो वह बॉम्बे रेगुलेशन ऐक्ट के प्रावधानों के तहत उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकती है।

किसी व्यक्ति को तभी मृत घोषित किया जा सकता है, जब उसको लेकर न्यायालय, न्यायाधिकरण एवं अथॉरिटी के सामने किसी मामले की सुनवाई के दौरान उसके अस्तित्व पर सवाल उठाया जाए। इस केस में हमें ऐसा कुछ नहीं दिखा है। मौजूदा अपील आधारहीन है। पत्नी ने सबूत के तौर पर कोई बयान या अन्य दस्तावेज भी नहीं पेश किए हैं।

पत्नी के मुताबिक, 29 अप्रैल 1997 को उसका विवाह कमल सिंह (परिवर्तित नाम) से हुआ था। उन्हें शराब की लत थी। 11 जनवरी 2004 को वह अचानक गायब हो गए। 2006 तक उनका इंतजार किया गया। इस बीच, उसके पति के माता-पिता की मौत हो गई, फिर भी वह नहीं लौटे। 18 मॉर्च 2006 में पति की गुमशुदगी की शिकायत तिलक नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई। 19 मई 2015 को पुलिस ने स्पष्ट किया कि काफी प्रयासों के बावजूद उसके पति के जिंदा अथवा मृत होने की जानकारी नहीं मिली।

क्या है सिविल डेथ
सामान्य भाषा में सिविल डेथ का अर्थ किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित करने और उस व्यक्ति के समस्त अधिकार खत्म होने से होता है। इंडियन एविडेंस ऐक्ट की धारा 107 व 108 में सिविल डेथ को लेकर उल्लेख किया गया है।

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