मुंबई में गड्ढे भरने की नई-नई ट्रिक अपना रही बीएमसी…

मुंबई: महानगर की बदहाल सड़कों को लेकर आलोचना झेल रही बीएमसी अब गड्ढों को भरने के लिए नए-नए तरीके आजमा रही है। बीएमसी ने सड़कों के गड्ढों को भरने के लिए मास्टिक अस्फॉल्ट का उपयोग करने का निर्णय लिया है। बीएमसी प्रशासन ने गड्ढों को भरने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है।

जोन 3 के तहत बांद्रा पूर्व, बांद्रा पश्चिम और अंधेरी पूर्व की सड़कों के गड्ढों की भराई के लिए बीएमसी ने 7 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। जोन 4 के लिए भी दो टेंडर जारी किए गए हैं। अंधेरी पश्चिम, गोरेगांव और मालाड के लिए 10 करोड़ रुपये का टेंडर और दूसरे 5 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है। 28 जुलाई को ठेकेदारों के नाम तय हो जाएंगे। यह ठेकेदार अगले 5 महीने तक मास्टिक अस्फॉल्ट से गड्ढे भरेंगे। यानी कुल 22 करोड़ रुपये खर्च कर पश्चिम उपनगर और उत्तर मुंबई के गड्ढे भरे जाएंगे।

125 करोड़ रुपये का खर्च
बताया जा रहा है कि बीएमसी 125 करोड़ रुपये गड्ढे भरने पर खर्च कर रही है। पिछले दो महीने से गड्ढे भरने के लिए रैपिड हार्डनिंग, कोल्ड मिक्स और रिऐक्टिव अस्फॉल्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। बीएमसी ने दावा किया था कि इस टेक्निक से गड्ढे भरने के 6 घंटे के भीतर ही सड़कों को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। रिऐक्टिव अस्फॉल्ट से गड्ढे भरने पर 45 करोड़ रुपये और रैपिड हार्डनिंग तकनीक से गड्ढे भरने पर 80 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद सड़कों पर बड़े पैमाने पर गड्ढे बन रहे हैं।

भरे गए हैं 6000 से अधिक गड्ढे
बीएमसी ने खुद स्वीकार किया है कि 1 अप्रैल से 24 जुलाई तक मुंबई में 6000 से अधिक गड्ढे भरे गए हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि मास्टिक अस्फॉल्ट का उपयोग करना काफी आसान है। इससे जहां कम समय में गड्ढे भरे जाएंगे, भारी बारिश के बावजूद यह उखड़ेगा नहीं। गड्ढे के साथ बैड पैचअप की समस्या भी काफी हद तक दूर हो सकती है। बता दें कि मुंबई में सड़कों पर बने गड्ढों को लेकर विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा हुआ था।

गड्ढे भरने की प्रयोगशाला बनी बीएमसी :
बता दें कि मुंबई में कुल 2055 किलोमीटर लंबी सड़कों का जाल जाल है, जिसमें से 1030 किमी. लंबी सड़क को सीमेंटेड किया जा चुका है। बीएमसी पिछले तीन वर्षों में गड्ढे भरने के लिए कई नई तकनीकों का प्रयोग कर चुकी है। इसमें जीओ पॉलिमर, पेवर ब्लॉक, एम- 60 और रैपिड हार्डनिंग के साथ ही रिऐक्टिव अस्फॉल्ट तकनीक भी शामिल है।

बीएमसी में पूर्व नेता विपक्ष रवि राजा ने आरोप लगाया कि बीएमसी ने सड़कों को प्रयोगशाला बना दिया है। अतिरिक्त आयुक्त हर साल दावा करते हैं कि इस बार सड़कों पर गड्ढे नहीं बनेंगे, लेकिन उनका दावा हर मॉनसून में फेल हो जाता है। हर साल करोड़ों रुपये कॉन्ट्रैक्टर को दिए जाते हैं, लेकिन गड्ढे हैं कि भरते ही नहीं। इसके लिए दोषी अधिकारियों और कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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