शिवसेना की नेता नीलम गोर्हे ने पाला बदलने के बाद तोड़ी चुप्पी… उद्धव ठाकरे को लेकर कही ये बड़ी बात
मुंबई : विधान परिषद की उपाध्यक्ष और शिवसेना की नेता नीलम गोर्हे ने पाला बदलने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तब से उनके साथ संवाद के सभी रास्ते बंद हो गए थे, जबकि अन्य सभी शिवसैनिकों की तरह उनकी भी तीव्र इच्छा थी कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनें।
एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि जैसे सबको खुशी हुई थी, उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद मैं भी खुश थी। गोर्हे ने कहा कि मुझे लगा कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी और पदाधिकारियों में मेल-जोल बढ़ेगा और पार्टी संगठन में तेजी आएगी, पर ऐसा नहीं हुआ और उनके बीमार होने के बाद चर्चा के दरवाजे बंद हो गए।
पार्टी में संवाद की कमी हो गई थी। गोर्हे ने कहा कि उनकी पार्टी संगठन में उपेक्षा की गयी, फिर भी अगर उद्धव ठाकरे मातोश्री बुलाते हैं तो मैं जाऊंगी, लेकिन उनके ग्रुप में शामिल नहीं होऊंगी। बीते शुक्रवार को ठाकरे गुट की सदस्य और विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे ने शिंदे गुट में प्रवेश कर लिया था।
लोगों से मिलते रहने की सलाह दी थी
विधान परिषद की उपाध्यक्ष ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे तो मैंने उन्हें एक पत्र लिखा था। नीलम गोर्हे ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि उन्हें लोगों से मिलना चाहिए। लोगों को जितनी उम्मीद थी उतना समय उद्धव साहब ने नहीं दिया। इस समय भी ठाकरे गुट में संवाद की कमी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने शिंदे गुट का दामन किसी पद की इच्छा से नहीं थामा है। मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में काम करने का फैसला किया है, ताकि उन्हें और अधिक परेशानी न हो।
संजय राउत ने मेरी बहुत मदद की
संजय राउत ने मेरी बहुत मदद की है। मेरी विधायकी के दौरान उन्होंने मेरी मदद की थी। हालांकि उन्होंने सलाह दी कि संजय राउत को अमर्यादित बातें नहीं करनी चाहिए। रश्मि ठाकरे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर वो राजनीति में आती है तो उन्हें मेरी शुभकामनाएं। उनकी भूमिका उद्धव ठाकरे की भूमिका से मेल खाती है। वह ऊर्जावान और सक्रिय हैं।