मनपा के लिए जीएसटी बन रही बरदान… दूसरी महानगर पालिकाओं को सहना पड़ रहा नुकसान

मुंबई : जीएसटी मुंबई महानगर पालिका के लिए बरदान साबित हो रहीं है। मनपा को जीएसटी का फायदा इस लिए मिल रहा है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के दरम्यान मुंबई मनपा राज्य में एकमेव महानगर पालिका थी जहा पर चुंगी वसूली जा रही थी। मनपा को राज्य सरकार से जीएसटी का हर माह लगभग 1 हजार 27 करोड़ से अधिक और साल भर में लगभग 12 हजार 344 करोड़ रुपया मिल रहा है। मनपा को राज्य सरकार से जीएसटी का मिलने वाला पैसा कुल कमाई का लगभग एक चौथाई है।

उल्लेखनीय है कि मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने रविवार को मनपा मुख्यालय में पत्रकार सम्मेलन लेकर मनपा के काम काज और मनपा में घोटाले के आरोपों पर खुलासा किया और यह जानकारी दी कि किस तरह मनपा बैंको में फिक्स डिपोजिट रख कर सुदृढ़ बनी हुई है। मनपा आयुक्त चहल ने जानकारी दी कि 2020 के बाद मनपा की तिजोरी पर कुछ भार जरूर पड़ा लेकिन मनपा ने बेस्ट उपक्रम को सुदृढ़ करने और एमएसआरडीसी का पिछले 5 साल का बकाया पैसा देने के कारण कुछ तिजोरी पर भार पड़ा।

मनपा की कमाई का मुख्य स्रोत 2017 तक चुंगी था। केंद्र सरकार के निर्देश पर चुंगी 2017 में बंद की गई।राज्य में मुंबई मनपा एकमेव महानगर पालिका थी जहा पर चुंगी वसूल की जा रही थी। राज्य सरकार द्वारा जीएसटी लागू किए जाने के दौरान यह निर्णय लिया गया कि मुंबई मनपा को अगले 5 साल तक चुंगी की कमाई होने वाली के अनुसार हर साल बढ़ोत्तरी करते हुए चुंगी का होने वाले नुकसान का पैसा दिया जाए।

मनपा को राज्य सरकार से वर्ष 2017 में सालाना 746 करोड़ रुपया मिल रहा था। मनपा को अब 5 साल बाद जीएसटी में कमाई बढ़कर 12 हजार करोड़ के करीब पहुंच गई है। चुंगी बंद होने और जीएसटी का मिल रहे नुकसान भरपाई 5 साल भी एक निश्चित दर के अनुसार मिलता रहेगा।

इस तरह का निर्णय वर्ष 2017 के अधिवेशन में लिया गया था।राज्य सरकार के वर्ष 2017 में लिए गया निर्णय का फायदा मुंबई मनपा को अब मिल रहा है। जीएसटी लागू होने के 5 साल भी राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान से मुंबई मनपा की तिजोरी में बढ़ोत्तरी हो रही है और मनपा पर किसी तरह का बोझा नही पड़ रहा है। मनपा का बैंको में जमा होने वाला फिक्स डिपॉजिट भी बढ़ रहा है और मूलभूत सुविधा मुहैया करने वाले काम भी किए जा रहें है।

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