दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है सड़क दुर्घटनाओं की संख्या…
मुंबई : मौजूदा सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के साथ ही नए-नए गतिशील एक्सप्रेस-वे भी बनाए जा रहे हैं। सड़कों के काम के साथ ही नए चारपहिया और दोपहिया वाहनों की संख्या भी ब़ड़ी तेजी से बढ़ रही है और उसके साथ ही सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण पैदल चलनेवाले लोगों को सड़क पर चलते समय जान हथेली पर रखकर चलना पड़ता है।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार, २०१९ से २०२२ इन चार वर्षों में कुल १० हजार ६१७ पैदल चलनेवालों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह आंकड़ा सिर्फ महाराष्ट्र का है। चार वर्षों के भीतर राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में १० हजार से अधिक पैदल चलनेवालों की मौत हुई है तो देशभर में बलि का यह आंकड़ा कितना बड़ा होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। किसी महायुद्ध में जितनी जनहानि होती है, उससे भी अधिक मौतें रास्ते पर चलते समय हो रही हैं तो आधुनिक युग व तकनीकी युग में इसे विकास का कौन-सा मॉडल माना जाए?
महाराष्ट्र में चार सालों में १० हजार पैदल चलनेवालों की मौत केवल पैदल चलते अथवा सड़क पार करते समय हुई है। मौत के इन आंकड़ों में अन्य सड़क दुर्घटनाओं या वाहनों से होनेवाली मौतें शामिल नहीं हैं। ये मौतें सिर्फ पैदल चलनेवाले लोगों की हैं। पैदल चलनेवालों के लिए जानलेवा बनी महाराष्ट्र की सड़कों पर वर्ष २०१९ में २ हजार ८४९ पैदल चलनेवालों की मौत हुई, तो २०२२ में २ हजार ९८४ पैदल चलनेवालों को अनायास अपनी जान गंवानी पड़ी।
शहरों में कुछ स्थानों पर सड़कें कमाल की संकरी हैं। वहां वाहनचालकों की भी अच्छी मशक्कत होती है और पैदल चलनेवालों को भी जान पर खेलना पड़ता है। जहां सड़कें चौड़ी हैं, वहां की कहानी कुछ और है। चौड़ी और खुली सड़कों पर वाहनचालक इतना बेफिक्र होकर गाड़ी चलाते हैं कि पैदल चलनेवालों को सड़क पार करना मुश्किल हो जाता है।
आगे जाएं या न जाएं इस भ्रम व असमंजस की स्थिति में निर्णय लेने तक किसी तेज वाहन द्वारा पैदल चलनेवाले को उड़ाने या कुचलने की घटना अब आम हो गई है। सुबह के वक्त शहर की सड़क हो या गांव का नजदीकी हाईवे, इन सभी सड़कों पर ‘मॉर्निंग वॉक’ करनेवालों की अत्यधिक भीड़ रहती है। सुबह के समय मुख्य सड़क पर भीड़ कम होने के कारण वाहन चालक तेज गति से गाड़ी चलाते हैं और गति पर नियंत्रण छूटने पर ‘मॉर्निंग वॉक’ करनेवाले लोगों को उड़ा देते हैं।