मुंबई की अदालत ने 34 साल बाद आरोपी को किया बरी…
मुंबई: इस केस का फैसला आने में 34 साल लग गए। आखिरकार अपहरण से जुड़े इस मामले में आरोपी को अदालत ने बरी कर दिया।मुंबई की एक कोर्ट ने 1989 में एक कारोबारी के अपहरण के मामले में फैसला सुना दिया है। आरोपी 62 साल के शख्स को सबूतों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया। अडिशनल सेशंस जज सुनील यू हाके ने 17 मई को पारित आदेश में अभय उसकईकर को सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
अभय उसकईकर को दोषमुक्त करते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तीन गवाहों से पूछताछ की थी। बार-बार समन जारी किए जाने के बावजूद अभियोजन पक्ष अन्य गवाहों की कोर्ट में हाजिरी सुनिश्चित नहीं कर सका। आरोपी उसकईकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 365 (अपहरण) और 392 (लूटपाट) सहित कई धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे की सुनवाई की जा रही थी।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी अभय ने फरार आरोपी नंबर 2,3 और 4 के साथ कोई आपराधिक साजिश रची, इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसके साथ ही इस बात के भी कोई सबूत नहीं हैं कि आरोपी अभय ने फरार चल रहे आरोपियों के साथ मोहम्मद रजा गुलाम हुसैन का अपहरण किया और फिरौती वसूली।’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसकईकर ने तीन अन्य हथियारबंद लोगों के साथ अप्रैल 1989 में दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से एक कार में व्यवसायी मोहम्मद रजा हुसैन का अपहरण किया था। आरोप है कि अगवा करने के बाद अभय ने जबरन एक साझेदारी दस्तावेज पर उससे दस्तखत करा लिए। आरोप था कि एक संपत्ति में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के कागजात पर हुसैन से साइन करा लिया गया। इस केस में आरोपी उसकईकर को पहली बार पांच मई 1989 को गिरफ्तार किया गया था।
11 दिन के बाद उसे जमानत मिल गई थी। इसके बाद काफी समय तक जब अभय कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो उसके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया गया था। 16 जून 2021 को उसकईकर को फिर गिरफ्तार किया गया। एक महीने के अंदर उसे कोर्ट से दोबारा जमानत मिल गई। अदालत ने नवंबर 2022 में आरोप तय किए थे और इस साल मार्च में सुनवाई शुरू हुई थी। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि उसकईकर ने तीन फरार आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची। साथ ही अदालत ने कहा कि तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ सुनवाई जारी रहेगी।