महाराष्ट्र बीजेपी को कर्नाटक में 85 सीटों की जिम्मेदारी… बेलगाम सहित सीमावर्ती जिलों में प्रचार कर रहे मुंबई के भाजपाई

मुंबई : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 224 सीटों के लिए 10 मई को होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। मतदान को महज कुछ दिन ही बचे हैं। इस बीच, राज्य में चुनाव प्रचार अभियान पूरे जोर पर है।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के विभिन्न भागों में प्रचार करने के लिए पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों, पार्टी शासित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं की बड़ी फौज उतार दी है।

उधर, कांग्रेस के धुंआधार प्रचार को देखते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित राज्य के कई नेता और मंत्री पड़ोसी राज्य कर्नाटक के चुनाव प्रचार अभियान में उतर गए हैं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र बीजेपी को कर्नाटक के 85 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है, इनमें 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पिछली बार बीजेपी के उम्मीदवार 10 से 15 हजार वोट से हार गए थे।

इन विधानसभा क्षेत्रों को टारगेट करते हुए महाराष्ट्र बीजेपी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की फौज लगी है। इन सीटों पर जनसभाओं की प्लांनिग, रोड शो,बैठकें आदि कर रहे हैं। बताया गया कि पार्टी कार्यकर्ता सिर्फ प्रचार ही नहीं बल्कि हालात का फीडबैक भी ले रहे हैं।

शहरी क्षेत्रों में जहां मिली-जुली आबादी है, वहां उम्मीदवारों की ताकत का अंदाजा लगाकर धरातल पर मिलने वाली रिपोर्ट के अनुसार आवश्यकता के अनुसार रसद पहुंचाने की जिम्मेदारी बीजेपी नेताओं पर डाली गई है। यदि पिछले चुनाव में हारी हुई इन विधानसभा सीटों को बीजेपी जीतती है, तो अन्य सीटों पर होने वाले नुकसान को कवर किया जा सकता है।

मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार को बेंगलुरु की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन पर बेलगाम में तैयारियों का भार है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मदद के लिए महाराष्ट्र से 80 सदस्यीय टीम तैनात की गई है। इनमें राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, उपाध्यक्ष और महासचिव शामिल हैं।

राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के अनुसार, कर्नाटक चुनाव में महाराष्ट्र से एक टीम पूरी तन्मयता से लगी है। कर्नाटक में बीजेपी की बहुमत के साथ फिर से डबल इंजन की सरकार बनाना हमारा लक्ष्य है। पार्टी की चुनावी रणनीति में शामिल पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र बीजेपी की टीम कर्नाटक चुनाव में अहम भूमिका निभा रही है। 36 प्रमुख नेता प्रचार करे रहे हैं, जबकि 44 प्रशिक्षित कार्यकर्ता समन्वय और क्षेत्र की स्थिति पर नजर रखते हुए चुनावी प्रबंधन का काम कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि पार्टी नेतृत्व को पता है कि इस बार कर्नाटक चुनाव जीतना एक कठिन काम है। सत्ता विरोधी लहर के साथ कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने का असर भी दिखाई दे रहा है। शहरी मतदाताओं पर पार्टी की विशेष नजर है। यहां पीएम मोदी के नेतृत्व में देश के विकास के साथ राज्य के विकास को मुद्दा बनाया गया है। मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता घर घर जाकर संपर्क कर रहे है, जिसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।

कर्नाटक चुनाव में इस बार भी सीमावर्ती जिलों बेलगाम, करवार और निप्पनी बेल्ट में घमासान मचा हुआ है। इन सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्रों में महाराष्ट्र बीजेपी की खास नजर है। वैसे इन इलाकों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति पिछले कई दशकों से सीमा विवाद को लेकर सक्रिय है। बेलगावी जिले के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठी भाषियों का वर्चस्व है, जबकि शेष 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से अधिकांश में लिंगायत बहुसंख्यक हैं। जिले में इन समूहों के लिए आरक्षित दो सीटों के साथ-साथ ओबीसी और एससी/एसटी की भी अच्छी खासी आबादी है।

पिछले तीन चुनावों की तरह 5 विधानसभा सीटों को छोड़कर अधिकांश विधानसभा सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। इधर बीजेपी चाहती है कि मुकाबला त्रिकोणीय हो ताकि आसानी हो सके। राज्य बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि बहुमत न मिलने की स्थिति को देखते हुए हंग असेम्बली के लिए भी प्रयास हो सकता है। कुछ सीटों पर महाराष्ट्र एकीकरण समिति भी गणित बिगाड़ सकती है, हालांकि उपमुख्यमंत्री फडणवीस सहित राज्य के कई नेता सीमावर्ती जिलों में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटें जीताने में लगे हैं।

चर्चा है कि राज्य में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले का लाभ बीजेपी को मिल सकता है। सीमावर्ती जिले में 18 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो लिंगायतों का गढ़ है और पिछले दो दशकों में बीजेपी का गढ़ रहा है। शिवसेना-एनसीपी ने एमईएस का समर्थन किया है। महाराष्ट्र में बेलगाम और अन्य मराठी भाषी क्षेत्रों को शामिल करने के लिए आंदोलनरत समिति ने स्थानीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

इस बीच चर्चा है कि इन इलाकों का बहुसंख्य लिंगायत समुदाय भी बीजेपी से दूरी बना रहा है। इससे पार्टी के वोटों में सेंध लगने की संभावना है। विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर बेलगावी से तीन बार के विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी सहित कई असंतुष्ट बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने यहां कुछ वोटों में सेंध लगने की संभावना है। इन्हीं रणनीति के तहत बीजेपी चाहती है, कि राज्य में त्रिकोणीय लड़ाई हो। ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने पर भी पिछली बार की तरह बीजेपी-जेडीएस में फूट का लाभ उठा सकेगी।

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