पालघर जिले में अपनी करतूतों से नही आ रही है बाज, MIDC की केमिकल कंपनियां व महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
पालघर : एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है कि तारापुर एमआईडीसी में रासायनिक कारखानों में उत्पादित अपशिष्ट जल सीधा समुद्र में छोड़ा जा रहा है. गहरे समुद्र में सात किमी के अंदर तक पाइप लाइन डालने के बजाय महज दो सौ फीट ही पाइप लाइन डाला गया है। सीआरजेड के नियमो धज्जियां उड़ाई जा रही है और ये मामला मत्स्य पालन के लिए भी जान का खतरा है। इस वेस्ट वाटर से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का डर है ।
पालघर जिले में तारापुर MIDC को सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। दो सौ से अधिक रासायनिक कारखाने हैं। इन फैक्ट्रियों के बहिस्राव को बिना किसी उपचार के सीधे तटीय खाड़ियों या गहरे समुद्र में बहा दिया जाता है। जिसको लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता व्यक्त की है। कारखानों से निकलने वाला यह गंदा पानी सात किमी लंबी पाइप लाइन के जरिए गहरे समुद्र में छोड़ने का आदेश दिया गया था।
लेकिन वास्तव में 200 फीट की दूरी पर ही पाइप लाइन डाला गया है । संभावनाएं यह भी हैं की इस तट के किनारे रहने वाले नागरिकों को भी प्रभावित करेगा। साथ ही बड़ी संख्या में मछलियां भी मरेंगी। महाराष्ट्र फिशरमैन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र तांडेल ने बताया कि प्रदूषण कारी कंपनियों की मनमानी से समुंदर की मछलियां मर रही है। खाड़ी खत्म हो रही है। जिससे लाखों मछुआरों की रोजी रोटी खत्म होने की कगार पर है।
समस्याओं को दूर नही किया गया तो जल्द ही आंदोलन छेड़ेंगे। केंद्रीय पर्यावरण विभाग के अनुसार तारापुर एमआईडीसी से 7.1 किलोमीटर तक सीवेज छोड़ा जाना चाहिए और उसके अनुसार पाइप लाइन की व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन हकीकत में जब स्थानीय मछुआरों ने गूगल के जरिए चेक किया तो पता चला कि पाइप लाइन केवल दो सौ फीट तक बिछाई गई थी। साथ मे यह भी मांग उठी है कि मामले की पूरी जांच कराई जाए,एमआईडीसी और महाराष्ट्र प्रदूषण बोर्ड इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के लिए जिम्मेदार हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए ।