लिव-इन पार्टनर पर मारपीट-जबरदस्ती के आरोप… पुलिस ने श्रद्धा वालकर मामले की तरह किया टालमटोल

मुंबई : मुंबई में श्रद्धा वालकर मामले की तरह ही एक और मामला सामना आया है, जहां लिव-इन में रह रही महिला की शिकायत पर एफआईआर लिखने के बजाय पुलिस ने टालमटोल करना बेहतर समझा। मुंबई में सामने आए इस मामले में पीड़ित महिला ने जानकारी दी कि लगभग चार वर्ष पहले अपने लिव-इन पार्टनर स्टीव पिंटो से मिली।

छह माह बाद वह वसई में अपने पिता के घर में उसके साथ लिव-इन में रहने लगी। पिछले एक वर्ष से उनके संबंध बिगड़ने लगे। महिला का आरोप है कि उसके पार्टनर ने उससे मारपीट और गाली-गलौज करना शुरु कर दिया। उसने बिना सहमति के उससे संभोग किया और उसे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और मुख मैथुन के लिए मजबूर किया। फिर एक दिन उसने महिला की छाती पर लात मारी। वह चूंकि अपने पार्टनर से शादी करना चाहती थी, इसलिए उसने इन सब का किसी से जिक्र नहीं किया।

महिला ने आगे बताया कि उसका लिव-इन पार्टनर ने उसका आर्थिक शोषण भी किया। घर का ज्यादातर खर्च महिला ही उठाती थी और उसके पार्टनर ने अपने पैसों से कार आदि महंगी चीजें खरीद रखी थीं। महिला के आरोपों के अनुसार, 18 मार्च को पिंटो ने उससे मारपीट की और उसकी कलाई मरोड़ दी।

इस पर महिला शिकायत दर्ज करवाने काशीमीरा पुलिस स्टेशन पहुंची। यहां से पुलिस ने उसे वसई भेज दिया, क्योंकि अपराध वहीं हुआ था। फिर वह मानिकपुर पुलिस स्टेशन पहुंची। यहां पहले पुलिस टालमटोल करती रही। वह दो दिन बाद फिर थाने पहुंची। बता दें कि पुलिस ने उसकी बात सुनी लेकिन किसी महिला पुलिसकर्मी को नियुक्त नहीं किया।

इस मौके पर स्टीव भी अपने रिश्तेदारों और वकीलों के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचा। उसने उसे एफआईआर दर्ज करवाने से रोकने की कोशिश की। पुलिस ने भी मामले की एफआईआर दर्ज करने के बजाय गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज कर स्टीव को जाने दिया। वहीं मानिकपुर थाने के अधिकारी ने बताया कि महिला-पुरुष पिछले 3.5 वर्ष से लिव-इन संबंध में रह रहे थे। ऐसे में दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। साथ ही, महिला के शरीर पर चोट के निशान नहीं थे। पुलिस ने एनसी दर्ज कर ली है। मामले में एफआईआर दर्ज की जा सकती है या नहीं, इस पर कानूनी सलाह ली जाएगी।

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