बिना सिम कार्ड के 10 हजार से ज्यादा कॉल… मुंबई पुलिस का भी सिर चकराया, मालाड से आरोपी हुआ अरेस्ट

मुंबई: एक युवक ने पिछले दो साल से मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम को दस हजार से ज्यादा कॉल्स कीं और वह भी बिना सिम कार्ड के। क्राइम ब्रांच ने इस युवक को पकड़ा, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया, क्योंकि वह मानसिक रूप से बीमार था। इस युवक ने कुछ साल पहले कभी किसी महिला को कॉल लगा दिया था, इसलिए वह महिला युवक के परिवार में झगड़ा करने आ गई थी।

इसके बाद युवक के पिता ने मोबाइल से सिम कार्ड निकाल दिया और अपने बेटे को दे दिया। बेटा मोबाइल में ऐसे ही कुछ बटन दबाता रहता था। एक दिन उसके मोबाइल में 100 नंबर दब गया। 100 नंबर पूरे देश में पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर होता है।

मुंबई पुलिस कंट्रोल रूम की किसी महिला सिपाही ने कॉल उठाया, लेकिन सामने वाले ने कोई जवाब नहीं दिया। धीरे-धीरे फिर और कॉल्स आने लगे। हर बार सामने वाला कुछ बोलता ही नहीं था, लेकिन उसे महिला पुलिस कर्मियों की ‘हैलो, हैलो’ की आवाज बहुत अच्छी लगती थी।

पुलिस कंट्रोल रूम में काम करने वाले पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों को इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि वह एक तो सामने वाले की कॉल कट नहीं करेंगी, दूसरे उनसे ऊंची आवाज में कभी बात नहीं करेंगी। उन्हें धैर्य रखने और विनम्र रहने की ट्रेनिंग दी गई है। यदि सामने वाला गाली दे रहा है या अश्लील बात कर रहा है, तो भी उसे यह तो चेतावनी दी जाएगी, कि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है या की जाएगी, लेकिन कंट्रोल रूम में खुद पुलिस अपनी सीमा नहीं लाघेंगी।

बिना सिम कार्ड के 100 नंबर या इमरजेंसी नंबर लग सकता है
कई महीने तक बिना किसी बातचीत के कॉल करने वाले ने धीरे-धीरे जब कंट्रोल रूम में काम करने वाली महिला सिपाहियों से अश्लील बातचीत करने की कोशिश की, तब मामला जांच के लिए सीआईयू के चीफ मिलिंद काठे की टीम के पास गया। जांच के कई दिनों तक सीआईयू को कॉल करने वाले का कोई नंबर ही नहीं पता चल रहा था।

चूंकि कंट्रोल रूम का 100 नंबर लैंडलाइन से जुड़ा है, इसलिए जांच टीम ने एमटीएनएल से मदद मांगी। एमटीएनएल के इंजिनियरों ने कहा कि अब जब कंट्रोल रूम में कॉल आए, तो कॉल आने का पक्का समय नोट कर लेना। जांच टीम ने ऐसा किया और एक खास दिन संबंधित कॉल की डिटेल एमटीएनएल से शेयर की।

एमटीएनएल के इंजिनियरों ने जब संबंधित वक्त की उस लाइन की डिटेल निकाली, जिस लाइन पर 100 नंबर पर कॉल किया गया था, तो इंजिनियर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह बिना सिम कार्ड के मोबाइल सेट से की गई कॉल है। बाद में सीआईयू की टीम ने पाया कि कई स्मार्ट फोन में इस बात की सुविधा है कि बिना सिम कार्ड के 100 नंबर या इमरजेंसी नंबर लग सकता है। हर शहर के कंट्रोल रूम में 100 नंबर की कई लाइने होती हैं। यदि एक लाइन पर कॉल बिजी है, तो दूसरी लाइन पर दूसरी कॉल अपने आप डायवर्ट हो जाती है।
दस डिजिट का एक डमी मोबाइल नंबर
सीआईयू ने अपने जांच करने के कौशल से अंतत: उस मोबाइल सेट का आईएमईआई नंबर पता कर लिया, जिससे बिना सिम कार्ड के कॉल की जा रही थीं। यह आईएमईआई नंबर 15 डिजिट का था। इस 15 डिजिट के आखिरी सात नंबर से पहले जांच टीम ने 911 नंबर जोड़ा और फिर दस डिजिट का एक डमी मोबाइल नंबर तैयार किया। पता चला कि वह नंबर यूपी में सीतापुर के किसी व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड है, जिसका इस केस से कोई लेना-देना नहीं।

इसके बाद जांच टीम ने तरह-तरह के और भी छदम मोबाइल नंबर तैयार करने व कुछ अन्य टेक्नॉलजी से संभावित अपराधी तक पहुंचने की कोशिश लगातार जारी रही और अंतत: मालाड के कुरार विलेज में संबंधित कॉल करने वाले युवक के घर तक पहुंच गई। बाद में पिता ने जब युवक की बीमारी के मेडिकल कागजात जांच टीम को दिखाए, तो युवक को एक नोटिस देकर छोड़ दिया गया।

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