डोनाल्ड ट्रंप ने फिर कहा- मामला सुलझाने में अमेरिका कर सकता है मदद
वॉशिंगटन.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कहा है कि अगर वह भारत चीन विवाद (India-China Border Tension) में मदद कर सकते हैं, तो उन्हें काफ़ी खुशी होगी. ट्रंप ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उम्मीद जताई कि भारत और चीन मौजूदा सीमा विवादों को खुद ही हल करने में सक्षम होंगे. इस दौरान उन्होंने दोनों एशियाई दिग्गजों की मदद के लिए अपना प्रस्ताव दोहराया. ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे पता है कि अब चीन और भारत को कठिनाई हो रही है. उम्मीद है कि वे इसे हल कर पाएंगे. अगर हम मदद कर सकते हैं, तो हम मदद करना पसंद करेंगे.’
अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर महीनों से चले आ रहे गतिरोध को सुलझाने के उद्देश्य से की जा रही वार्ता के दौरान आई है. दोनों देश हिमालय में अपनी विवादित सीमा पर और अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने पर सहमत हुए हैं.
इससे पहले भी ट्रंप ने कहा था कि वह भारत और चीन दोनों से स्थिति के बारे में बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम चीन और भारत के संबंध में मदद करने के लिए तैयार हैं. यदि हम कुछ भी कर सकते हैं, तो हम इसमें शामिल होकर और मदद करना पसंद करेंगे. हम दोनों देशों से इस बारे में बात कर रहे हैं.
जमीनी स्थिरता सुनिश्चित करना जरूरी- विदेश मंत्रालय
गौरतलब है कि भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच छठे दौर की वार्ता सोमवार को हुई जिसमें दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर गहराई से विचारों का अदान-प्रदान किया. इसमें दोनों पक्ष सीमा पर और अधिक सैनिक न भेजने, आपस में संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने पर सहमत होने के साथ ही जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने पर सहमत हुए.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत और चीन के बीच सोमवार को कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों की सेनाओं द्वारा मंगलवार देर शाम जारी किए गए अपने तरह के पहले संयुक्त बयान का जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हम पहले उल्लेख कर चुके हैं कि सैनिकों को पीछे हटाना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दोनों पक्षों को एलएसी के अपनी-अपनी तरफ नियमित चौकियों पर सैनिकों की पुन: तैनाती की जरूरत होगी. इसके लिए पारस्परिक सहमति वाली कार्रवाई की आवश्यकता होगी.’