पारस ने कहा कि चिराग अभी जमुई से सांसद हैं और आगामी चुनाव में भी वे वहीं से लड़ेंगे। वे हाजीपुर से कैसे चुनाव लड़ सकते हैं? मैं हाजीपुर का मौजूदा सांसद हूं और 2024 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ूंगा।
केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग के बीच रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को लेकर जंग पुरानी है। दिवंगत नेता रामविलास पारसवान की परंपरागत लोकसभा सीट रही हाजीपुर से चुनाव लड़ने को लेकर चाचा-भतीजे के बीच तकरार सामने आई है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के मुखिया पशुपति पारस ने साफ कर दिया है कि रामविलास पासवान के असली राजनीतिक वारिस वो हैं। साथ ही रामविलास के बेटे एवं लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को हाजीपुर से लड़ने का कोई अधिकार नहीं है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने हाल ही में चिराग पासवान को लेकर कई सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान की एनडीए में वापसी से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। शर्त ये है कि चिराग को 2020 में अकेले चुनाव लड़ने के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी होगी। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट की दावेदारी के बारे में भी पारस से सवाल किया गया। इस पर उन्होंने कहा, ‘चिराग पासवान अभी जमुई से सांसद हैं और आगामी चुनाव में भी वे वहीं से लड़ेंगे। वे हाजीपुर से कैसे चुनाव लड़ सकते हैं? मैं यहां हाजीपुर का मौजूदा सांसद हूं और 2024 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ूंगा। चिराग पासवान अपने पिता रामविलास की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं, लेकिन उनका राजनीतिक वारिस मैं हूं.’ पारस और चिराग के लिए हाजीपुर सीट क्यों है अहम बिहार का हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र लोक जनशक्ति पार्टी का गढ़ माना जाता है। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में भी रामविलास ही हाजीपुर से सांसद चुने गए थे। हालांकि, 2019 के चुनाव में उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया और हाजीपुर से उनके भाई पशुपति पारस को टिकट दिया गया। इसके बाद रामविलास राज्यसभा से निर्वाचित हुए। 2020 में उनका देहांत हो गया और फिर लोजपा में टूट हो गई।