दुनिया लद्दाख में चीनी टैंकों से निपटने के लिए भारत उठा रहा है ये क़दम Kalpesh Vishwakarma November 16, 2022 भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता का सामना करने के लिए अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही नये सुरक्षा इंतज़ाम कर रही है.अंग्रेजी अख़ के मुताबिक़, भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में हथियारों के संग्रहण के लिए भूमिगत ठिकाने बनाने के साथ-साथ 22 हज़ार सैनिकों के ठहरने के लिए इंतज़ाम किए हैं.इसके साथ ही सेना पुलों को मजबूत कर रही है ताकि मौका पड़ने पर उनसे भारी वजन वाले सैन्य वाहन गुज़र सकें. भारतीय सेना इस तरह के स्थाई इंतज़ाम भी कर रही है जिनसे चीनी टैंकों के सीधे हमलों का सामना किया जा सके.निजी कंपनियों की मदद से तैयार किए गए इन इंतज़ामों को कुछ दिनों के अंदर ही मोर्चों पर तैनात किया जा सकता है. इनमें 3डी प्रिंटेड ढांचे भी शामिल हैं जिनका वजन लगभग चालीस किलोग्राम होगा और दो सैनिक इन ढांचों को लेकर ऊंचे स्थानों पर जा सकते हैं.अख़बार को सूत्रों से पता चला है कि इन चीजों को गांधीनगर, बेंगलुरु और हैदराबाद स्थित कंपनियों ने बनाया है. इसके साथ ही आर्मी कॉर्प्स ऑफ़ इंजीनियर्स ने भी इन डिफेंसेज़ को बनाने पर काम किया है.सूत्र ने कहा है, “आईआईटी गांधीनगर में बने स्टार्टअप और हमने 3डी प्रिंटेड डिफेंस पर काफ़ी काम किया है. ये ऐसे डिफेंसेज़ हैं जो 100 मीटर की दूरी से भी एक टी90 टैंक का सीधा हमला झेल सकते हैं. इस समय उत्तरी सीमा पर ट्रायल जारी हैं और हम अगले साल तक इन्हें इंस्टॉल करना शुरू करेंगे.”बता दें कि सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को भी ऐसी ही जानकारी दी है.सूत्र ने बताया है कि ‘गलवान के बाद दो सालों में 22 हज़ार सैनिकों के ठहरने के लिए इंतज़ाम किए गए हैं. ये सबसे लेटेस्ट मॉड्यूलर सिस्टम हैं जिनमें तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सकता है.’इसके साथ ही लद्दाख़ में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में लगने वाले समय को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है. आर्मी कॉर्प्स ऑफ़ इंजीनियर्स इस समय एयरफ़ील्ड्स को बेहतर बनाने के साथ ही न्योमा में नया रनवे बना रही है.सूत्रों ने बताया है कि नयी सड़कें बनने के बाद लेह से रणनीतिक रूप से अहम दौलत बेग ओल्डी एयरफ़ील्ड तक पहुंचने में लगने वाला समय दो से घटकर छह घंटे रह गया है.इसके साथ ही लद्दाख़ को शेष भारत से बेहतर ढंग से जोड़ने के लिए सड़क परियोजनाओं और सुरंगों पर काम जारी है.नितिन गडकरी बोले, एनएचएआई कभी कर्ज के जाल में नहीं फंस सकताकेंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इकॉनोमिक टाइम्स को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा है कि एनएचएआई की कोई भी परियोजना घाटे में नहीं चल रही है.बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के कर्ज को लेकर चिंताएं जताई गयी हैं. नितिन गडकरी केंद्र सरकार में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय संभाल रहे हैं.इस इंटरव्यू में उनसे उनके विभाग से जुड़ी आर्थिक चिंताओं पर सवाल किया गया था. लेकिन उन्होंने इन चिंताओं को निराधार बताया है.अख़बार में के मुताबिक़, नितिन गडकरी ने कहा है कि ये चिंताएं निराधार हैं और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की एक भी परियोजना घाटे में नहीं चल रही है.उन्होंने कहा, “जो भी पैसा निवेश किया जा रहा है, वो 12-15 सालों में ब्याज़ समेत वापस आ रहा है. हमारी 12-15 साल पुरानी संपत्तियां कर्ज मुक्त हो गयी हैं और उनसे कमाई हो रही है. ऐसे में मुंबई-दिल्ली हाईवे जैसी नयी परियोजना में किए गए निवेश की रिकवरी में कुछ समय लगेगा. लेकिन एक हाईवे की लाइफ़ 100 साल होती है.इस समय एनएचएआई को हर साल टोल के ज़रिए चालीस हज़ार करोड़ रुपये की कमाई हो रही है जो कि साल 2024 तक 1.40 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. हमारी सबसे बड़ी कोशिश सड़कों की उम्र बढ़ाते हुए उनके निर्माण में होने वाले ख़र्च को कम करना है. ऐसे में भविष्य में हमारी आर्थिक स्थिति काफ़ी अच्छी होगी और एनएचएआई कभी भी कर्ज के जाल में नहीं फंस सकता.”मुख्यमंत्री बनने की ख़्वाहिश पर क्या बोले अमित शाहकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से जुड़े सवाल पर जवाब दिया है.हिंदी अख़बार जनसत्ता में के मुताबिक़, गृह मंत्री अमित शाह से इंटरव्यू के दौरान सवाल किया गया था कि क्या आपके मन में मुख्यमंत्री बनने की ख़्वाहिश है?इस पर अमित शाह ने कहा कि ‘मैंने आपका कुछ बिगाड़ा है?, मैं अच्छा भला काम कर रहा हूं, क्यों इस तरह का नया बखेड़ा शुरू कर रहे हैं. वैसे आपके बोलने से बखेड़ा शुरू नहीं होगा. क्योंकि मेरी पार्टी और जनता भी मानती है कि ऐसा असंभव है.अभी आप चैनल में न्यूज एडिटर हैं, आपको कोई एंकर बना दे तो बनोगे क्या? बस इतनी सी बात आपको समझ में नहीं आती तो क्या कर सकता हूं.”