श्रद्धा मर्डर केस: पुलिस को चकमा, अदालत से बचने की फुलप्रूफ प्लानिंग… सवालों में ऐसे उलझ गया आफताब

श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब 13 नवंबर से दिल्ली पुलिस की हिरासत में है और लगातार तोते की तरह बोल रहा है. पूछताछ करनेवाले पुलिस अफसरों के मुताबिक, आफताब बेहद शांत होकर हर सवाल के जवाब दे रहा है और यही बात दिल्ली पुलिस को परेशान कर रही है.

आफताब पूनावाला ने पूछताछ के दौरान पुलिस को कई सवालों के जवाब दिए हैं

Shraddha walker murder: बेशक आफताब अमीन पूनावाला ने श्रद्धा वॉल्कर का कत्ल गुस्से में किया, लेकिन उसके बाद अगले 20 दिनों तक उसने जो कुछ भी किया वो बेहद सोच समझकर किया. कमरे में अपनी मोहब्बत का गला घोंटने के बाद उसकी लाश को ठिकाने लगाना और ठिकाने लगाने से पहले लाश के टुकड़े करना. इन सब चीज़ों के बारे में उसने बहुत बारीकी से सोचा था. इतना ही नहीं, लाश को ठिकाने लगाने के बाद कैसे कमरे से हर सबूत को मिटाना है? उन्हें साफ करना है. इसके बारे में भी बाकायदा उसने स्टडी की थी. जानिए उस कबूलनामे के बारे में जो मुजरिम आफताब ने पुलिस के सामने दिया था.

सबूत ढूंढना बेहद दुश्वार 

हिंदी जानते हुए भी लगातार अंग्रेजी में पुलिस के सवालों के जवाब देनेवाला आफताब बखूबी जानता है कि इकबाल-ए-जुर्म करने के बावजूद उसने दिल्ली पुलिस को सबसे मुश्किल केस में उलझा दिया है. खुद दिल्ली पुलिस दबी जुबान में ये मान रही है कि आफताब एक इकबाल-ए-जुर्म को हटा दें तो अदालत में उसे कड़ी सजा दिलाने के लिए जरूरी सबूत ढूंढना बेहद दुश्वार है. 

शांत रहकर दिए सवालों के जवाब

13 नवंबर से आफताब दिल्ली पुलिस की हिरासत में है और लगातार तोते की तरह बोल रहा है. पूछताछ करनेवाले पुलिस अफसरों के मुताबिक, आफताब बेहद शांत होकर हर सवाल का जवाब दे रहा है और यही चीज पुलिस को परेशान कर रही है. आफताब से पूछताछ के दौरान जो सबसे अहम सवाल थे, उसके जवाब भी आफताब ने दिए. आइए आपको आफताब से पूछे गए सवाल और उसके दिए गए जवाब के बारे में बताते हैं-

पुलिस- श्रद्धा का कत्ल कब और कैसे किया? 

आफताब- 
18 मई बुधवार की रात श्रद्धा से झगड़ा हुआ था. झगड़ा इससे पहले भी होता था. मगर उस रोज बात बढ़ गई. हम दोनों में हाथापाई हुई. फिर मैंने श्रद्धा को पटक दिया. इसके बाद उसके सीने पर बैठ कर दोनों हाथों से उसका गला दबाने लगा. थोड़ी देर बाद ही वो दम तोड़ चुकी थी.

पुलिस- फिर लाश के साथ क्या किया?

आफताब- उस रात श्रद्धा की लाश घसीट कर बाथरूम ले गया. पूरी रात लाश वहीं पड़ी रही.

पुलिस- लाश के टुकड़े कैसे और कब किए?

आफताब- 
19 मई को मैं बाजार गया. लोकल मार्केट से तीन सौ लीटर का एक फ्रिज खरीदा. कीर्ति इलेक्ट्रॉनिक शॉप से. एक दूसरे दुकान से आरी खरीदी. फिर मैं घर लौट आया. रात को उसी बाथरूम में आरी से लाश के टुकड़े करने शुरू किए. मैंने कुछ दिनों के लिए शेफ की नौकरी भी की थी. उससे पहले करीब दो हफ्ते की ट्रेनिंग भी ली थी. इस दौरान चिकन और मटन के पीस करने की भी ट्रेनिंग मिली थी. 19 मई को मैंने लाश के कुछ टुकड़े किए थे. उन्हें पॉलीथिन में डाला, फिर उन टुकड़ों को पॉलीथिन समेत फ्रिज के फ्रीजर में रख दिया था. बाकी लाश फ्रिज के निचले हिस्से में.

पुलिस- कितने दिनों तक लाश के टुकड़े किए?

आफताब-
 दो दिनों तक. 19 और 20 मई को.

पुलिस- लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाना कब शुरू किया?

आफताब- 19 और 20 की रात पहली बार लाश के कुछ टुकड़े फ्रीजर से निकाल कर बैग में रखे थे. पहली रात बैग में कम टुकड़े रखे थे. क्योंकि लाश के टुकड़ों के साथ देर रात बाहर निकलने में घबरा रहा था कि कहीं रास्ते में पुलिस तलाशी ना ले ले.

पुलिस- पहली बार लाश के टुकड़े कहां फेंके?

आफताब- 19 और 20 मई की रात महरौली के जंगल में टुकड़े फेंके थे. पर जंगल के ज्यादा अंदर नहीं गया था. 

पुलिस- कितने दिनों में लाश के सारे टुकड़े ठिकाने लगाए?

आफताब- ठीक से याद नहीं, लेकिन कम से कम बीस दिन तक मैं लाश के टुकड़े फेंकता रहा था.

पुलिस- लाश के टुकड़े कहां-कहां फेंके?

आफताब-
 मैं सिर्फ छतरपुर और महरौली के आस-पास ही जाता था. ज्यादा दूर जाने में पकड़े जाने का खतरा था.

पुलिस- तुम्हें वो सारी जगह याद है?

आफताब-
 नहीं, लेकिन कुछ जगह पता है. रात में अंधेरा था. इसलिए सारे ठिकाने सही सही याद नहीं.

पुलिस- 20 दिनों तक घर में लाश या लाश के टुकड़े थे. इस दौरान तुम्हारा रुटीन क्या था?

आफताब- चूंकि घर में लाश थी इसलिए मैं घर से बाहर निकलता ही नहीं था. ना ही किसी पड़ोसी से मिलता या बात करता था. मैं बार-बार टुकड़ों को फ्रिज के निचले हिस्से से फ्रीजर में और फ्रीजर में रखे टुकड़ों को नीचे रख कर उनकी अदला-बदली किया करता था. ताकि लाश की बू बाहर ना आ सके. घर, फ्लोर, बाथरूम इन सबकी केमिकल से सफाई किया करता था.

पुलिस- पूरी लाश ठिकाने लगा देने के बाद तुमने क्या किया?

आफताब- मैंने फिर से पूरे घर की सफाई की. फ्रिज खाली होने के बाद फ्रिज को भी केमिकल से अच्छे से साफ किया. बाथरूम, फर्श, दीवार, चादर, कपड़े हर चीज को धोया और साफ किया. 

पुलिस- इतनी सफाई क्यों की?

आफताब- एक तो घर से लाश की बू निकालनी थी, दूसरी मैं ये यकीन कर लेना चाहता था कि घर के अंदर खून या मांस के कोई भी सबूत ना छूट जाए. मैं जानता था कभी ना कभी ये सच बाहर आएगा और तब इस घर और फ्रिज की जांच भी होगी. इसीलिए अपनी तरफ से मैंने हर सबूत को धो डाला. 

पुलिस- जिससे तुम प्यार करते थे उसकी लाश के साथ ऐसा बर्ताव करने से पहले तुमने एक बार भी कुछ सोचा नहीं? 

आफताब- नहीं. मुझे गुस्सा आया था. इसलिए मैंने श्रद्धा को मार डाला लेकिन मैं नहीं चाहता था कि उसकी मौत का सच घर से बाहर जाए. श्रद्धा के घरवाले भी उससे दूर ही रहते थे. उसकी अपने घरवालों से ही बात नहीं होती थी. मुझे पता था कि उसे कोई ढूंढने नहीं आएगा. इसीलिए लाश को इस तरह ठिकाने लगाना जरूरी था और मैंने वही किया.


वर्चुअल वर्ल्ड में जिंदा थी श्रद्धा

हकीकत की दुनिया में श्रद्धा बेशक मारी जा चुकी थी, लेकिन लोगों की नजरों में धूल झोंकने के लिए आफताब ने उसे वर्चुअल वर्ल्ड में जिंदा रखा हुआ था. वो श्रद्धा की जान लेने के बाद उसके क्रेडिट कार्ड के बिल भरता रहा और सोशल मीडिया पर श्रद्धा का अकाउंट भी हैंडल करता रहा. ताकि उसके दोस्तों और जाननेवालों को श्रद्धा की मौत को लेकर बिल्कुल भी शक ना हो और उन्हें ये लगता रहे कि श्रद्धा अब भी जिंदा है. वो इस कोशिश में काफी हद तक कामयाब भी रहा. लेकिन तकरीबन दो महीने तक श्रद्धा के सोशल मीडिया अकाउंट को हैंडल करने के बाद जब जुलाई महीने में आफताब ने ये सिलसिला बंद कर दिया, तो श्रद्धा के दोस्तों को उसकी गुमशुदगी को लेकर शक होने लगा और उन्होंने श्रद्धा के घरवालों से बात की.

सल्फर हाईपोक्लोरिक एसि़ड का इस्तेमाल

आफताब की गिरफ्तारी के बाद अब पता चला है कि लोगों को धोखा देने के लिए उसने सिर्फ़ श्रद्धा का सोशल मीडिया अकाउंट ही एक्टिव नहीं रखा, बल्कि लाश के टुकड़े-टुकड़े करने के बाद घर में बिखरे खून के धब्बे और बू मिटाने के लिए वो सल्फर हाईपोक्लोरिक एसि़ड का भी इस्तेमाल करता रहा. वो बाजार से एसिड खरीद कर लाया और हर रोज़ इसी से बाथरूम की सफ़ाई करता रहा, ताकि खून का एक भी धब्बा बाकी ना रह जाए. उसने खून के धब्बे मिटाने और उसकी बू से बचने का तौर तरीका सीखने के लिए के गूगल सर्च भी किया था. 

अलमारी में छुपा दिए थे लाश के टुकड़े

और अब ये कह सकते हैं कि आफताब काफी हद तक इसमें कामयाब भी रहा. वो लगातार रूम फ्रेशनर और अगरबत्ती का भी इस्तेमाल कर रहा था, ताकि आस-पड़ोस के लोगों को उसके घर से कोई बदबू ना आए. ये आफताब का शातिर दिमाग ही था, जिसके चलते उसकी नई गर्लफ्रेंड को भी उसके घर में आने पर इस बात की भनक नहीं लगी कि वहां किसी लड़की का कत्ल हो चुका है. श्रद्धा के कत्ल के बाद आफताब एक नई लड़की से दोस्ती कर चुका था. इंतेहा देखिए कि एक रोज़ उसने अपनी नई गर्लफेंड को उसी घर में तब बुलाया, जबकि श्रद्धा की लाश के कुछ टुकड़े अब भी घर में मौजूद थे. बस उसने इतना जरूर किया कि उतनी देर के लिए लाश के टुकड़ों को फ्रिज से निकाल कर अलमारी में छुपा दिया था.



ह्यूमन एनाटॉमी से मिली मदद

पुलिस की पूछताछ में आफताब ने बताया है कि उसने श्रद्धा के कत्ल के बाद ह्यूमन एनाटॉमी के बारे भी गूगल सर्च किया और पढ़ाई की, जिससे उसे श्रद्धा की लाश के टुकड़े करने में मदद मिली. फिलहाल पुलिस ने आफताब का मोबाइल फोन, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद कर लिए हैं. पुलिस इसकी सर्च हिस्ट्री निकालने में जुटी है, ताकि आफताब से कबूलनामे से गैजेट्स में मौजूद फुटप्रिंट का मिलान किया जा सके. 

पुलिस ने बरामद की हैं कुछ हड्डियां

आफताब की निशानेदही पर महरौली और छतरपुर इलाके से पुलिस को कुछ हड्डियां तो मिली, मगर ये हड्डियां श्रद्धा की लाश के उन्हीं टुकड़ों का हिस्सा है ये अभी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता. दरअसल, दिक्कत ये है कि लाश छह महीने पुरानी हो चुकी है. बॉडी का टिश्यू या लाश के टुकड़े अब मिल नहीं सकते. मगर हां, हड्डियां इतनी जल्दी गायब नहीं हो सकतीं. जंगली जानवरों के होने के बावजूद, लिहाजा पुलिस इसी कोशिश में है कि अगर हड्डियों के कुछ टुकड़े मिल जाएं और डीएनए के जरिए ये साबित हो जाए कि वो श्रद्धा की लाश के टुकड़ों के हिस्से हैं, तो केस आईने की तरह साफ हो जाएगा. 

6 माह पुरानी लाश के सबूतों को ढूंढना मुश्किल

लेकिन गलती से पुलिस को श्रद्धा की लाश के टुकड़ों का कोई हिस्सा नहीं मिलता, तो मामला फंस जाएगा. फिर तो पुलिस को पहले यही साबित करना होगा कि श्रद्धा सचमुच मर चुकी है. खुद पुलिस भी इस बात को मानती है कि छह महीने पुरानी लाश के सबूतों को ढूंढना बेहद मुश्किल है. हालांकि सबूत ढूंढने के लिए पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है.


कबूलनामे के साथ ज़रूरी हैं सबूत

पुलिस के सामने कबूली गई आफताब की सारी बातें अदालत में तभी मान्य होंगी, जब पुलिस उसके कबूलनामे से जुड़े सबूत अदालत में पेश कर सके. जंगल से मिले लाश के टुकड़ों को श्रद्धा की लाश के टुकड़े साबित करने के साथ-साथ पुलिस को मौका-ए-वारदात यानी आफताब के घर से भी सबूत जुटाने की जरूरत है, जिससे ये साबित किया जा सके कि श्रद्धा की जान आफताब के हाथों उसी मकान में ली गई. 

फोरेंसिक एक्सपर्ट्स भी परेशान

लेकिन अब जिस तरह से छह महीने का वक्त गुजर चुका है और आफताब सल्फर हाईपोक्लोरिक एसिड से अपने मकान और फ्रिज की सफाई करता रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि ये काम भी पुलिस और फोरेंसिक एक्सपर्ट्स के लिए इतना आसान नहीं होनेवाला है.

सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है पुलिस 

पुलिस सबूत के तौर पर आफताब के घर के आस-पास छतरपुर पहाड़ी के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है, लेकिन अब तक की छानबीन में पुलिस को ऐसा कोई भी फुटेज हाथ नहीं लगा है, जिससे श्रद्धा के कत्ल की कोई कहानी जुड़ सके. असल में वारदात को अंजाम दिए गए छह महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है और आम तौर सीसीटीवी फुटेज बैकअप 90 दिन यानी तीन महीनों का ही होता है.

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