Prabodhini Ekadashi 2022 Vrat: चार माह बाद देवोत्थानी एकादशी पर श्री भगवान विष्णु जागेंगे। इसी के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। आज पूरे दिन भद्राकाल रहेगा। जानें पूजन को लेकर पंडित का मत-
Prabodhini Ekadashi 2022 Vrat: देवोत्थानी एकादशी शुक्रवार को श्रद्धापूर्वक मनाई जाएगी। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी व देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार एकादशी तिथि तीन नवंबर की रात 8:51 से शुरू हो गयी है, जो शुक्रवार को शाम 7:02 बजे तक रहेगी। इस दिन भद्रा सुबह 7:56 बजे शुरू होगा, जो शाम को 07:02 बजे तक रहेगा। हालांकि भद्रा स्वर्ग लोक में होने के कारण अशुभ कारक नहीं है। फिर भी भद्रा से पूर्व गन्ने का पूजन किया जाना श्रेष्ठ फल दायक है। चार माह बाद देवोत्थानी एकादशी पर श्री भगवान विष्णु जागेंगे। इसी के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। शादी, मुंडन, तिलकोत्सव, गृह प्रवेश आदि कार्य किए जाएंगे। इस अवसर पर घरों-मंदिरों और मठों में पूजन-अर्चन के साथ दीपदान किया जाएगा।एकादशी पूजा- विधि- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।