अमेरिका में 18 या उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज देने की तैयारी, जानें- क्या है इसकी वजह

दुनियाभर में कोरोना महामारी का कहर अभी भी खत्म नहीं हो पाया है। अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई भागों में कोरोना वायरस के मामले लगातार आ रहे हैं अमेरिका में अब कोरोना के खिलाफ बूस्टर यानी वैक्सीन के तीसरे डोज को लगाने का अभियान चल रहा है। इसके तहत अमेरिका ने अब अपनी सभी वयस्क आबादी को वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने का फैसला कर लिया है।

अमेरिकी वैक्सीन कंपनी फाइजर ने मंगलवार को अमेरिकी नियामकों से 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की अनुमति देने के लिए कहा। अमेरिका की ओर से ये कदम इस वजह से उठाया गया है क्योंकि वहां छुट्टियां और ट्रैवेल शुरू होने वाला है। ऐसे में लोगों की बढ़ती भीड़ के साथ कोरोना वायरस के फैलने का भी खतरा बढ़ सकता है। इसको देखते हुए अमेरिका ने ये फैसला लिया है। इससे पहले अमेरिका में सितंबर में वृद्ध लोगों और विशेष रूप से वायरस की चपेट में आने वाले कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने की अनुमति दी गई थी।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और बहुत से गैर सरकारी संगठनों ने बूस्टर डोज लगाने के अमेरिका सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अभी जबकि बहुत से देशों में टीकाकरण की दर बहुत कम है, धनी देशों ने बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया है। इससे गरीब देशों को टीका उपलब्ध होने की संभावना और घट गई है।

टीकाकरण में अमेरिका से पिछड़ा यूरोप

अमेरिकी टीवी चैनल एनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण के लिहाज से यूरोप अमेरिका से काफी पिछड़ा हुआ है। अमेरिका की कुल आबादी में 67 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी है। यूरोप में सबसे ऊंची दर पुर्तगाल में है, जहां 87 फीसदी आबादी को एक डोज लग चुका है। अब संभावना है कि यूरोप के कई देश भी बूस्टर डोज लगाने का अभियान तेज करेंगे। इस बीच ये चुनौती बनी हुई है कि जिन यूरोपीय देशों में टीकाकरण की दर कम है, वहां कैसे स्थिति को सुधारा जा सकता है।

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