बीजेपी में अब संगठन के बदलाव का वक्त, प्रदेशाध्यक्ष और मुंबई अध्यक्ष दोनों बन गए मंत्री, जानें कौन हैं दावेदार
Maharashtra Politics: बीजेपी में अब संगठन में बदलाव की बारी है। मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार और महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के सरकार में मंत्री बन जाने के बाद अब दोनों…..
असली टारगेट अभी बाकी
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने भले ही प्रदेश में विशाल बहुमत पाकर सरकार बना ली है, लेकिन उसका असली टारगेट अभी भी बाकी है। महानगरपालिकाओं तथा पंचायती राज संस्थाओं में बीजेपी अब अपना दबदबा बनाना चाहती है, जो आने वाले लंबे समय के लिए उसकी ताकत का आधार बढ़ाएगा। जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महाराष्ट्र में मिले निराशाजनक समर्थन से असंतुष्ट संघ के शीर्ष नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव से पहले जो होमवर्क कर रखा था, उसका एक पार्ट तो विधानसभा में दिख गया, लेकिन विस्तारित कार्य महानगरपालिकाओं व पंचायतों के चुनाव में दिखेगा। संघ परिवार ने मुख्यमंत्री फडणवीस उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सहयोग से शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को पूरी तरह से किनारे लगाने की जो रणनीति बनाई है, उसे महानगरपालिकाओं और पंचतायt चुनाव में बेहतरीन तरीके से लागू करने के लिए उनको दोनों पदों पर ताकतवर चेहरों की जरूरत है।
केंद्र का फॉर्म्युला भी है विकल्प
हालांकि, केंद्र में मंत्री होने के बावजूद जेपी नड्डा भी आने वाले कुछ समय तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। फिर, प्रदेश अध्यक्ष बावनकुले और मुंबई अध्यक्ष शेलार, दोनों के अध्यक्ष पद पर रहते हुए बीजेपी ने मुंबई सहित समूचे महाराष्ट्र में ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया है। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार मानते हैं कि इस कारण मंत्री बन जाने के बावजूद शेलार और बावनकुले को अगले कुछ महीनों के लिए पद पर बनाए रखा जा सकता है। क्योंकि मुंबई में शिवसेना से जूझने में शेलार के मुकाबले और कोई चेहरा ताकतवर नहीं दिखता। इसी तरह प्रदेश अध्य़क्ष के रूप में सुधीर मुनगंटीवार सहज चेहरा हो सकते हैं, लेकिन बीजेपी तो नामों पर चोंकाती रही है, तो फिर कोई और भी संभव हो।
किन नामों की चर्चा
वैसे बीजेपी में इस समय सुधीर मुनगंटीवार के अलावा रविंद्र चव्हाण, संजय कुटे, राम शिंदे, मुरलीधर मोहल आदि के नाम भी चर्चा में है। सुधीर मुनगंटीवार पहले भी प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। वरिष्ठ नेता हैं परंतु ऐन वक्त पर उनका नाम मंत्रिमंडल की लिस्ट से हटाया गया इस बात से व्यथित हैं। लेकिन बीजेपी में माहौल ऐसा है कि कहा भी ना जाए और सहा भी ना जाए सो बेचारे कुछ अपनी व्यथा व्यक्त करने के बजाए ‘मौनं, सर्वार्थ साधनं’ का राग अलापते हुए पार्टी के अगले फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
मुंबई के लिए चेहरे की तलाश
प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए तो बीजेपी के पास कई चेहरे है जो राजनीति और सोशल इंजीनियरिंग के दोनों ही फ्रेम में फिट बैठते हैं, लेकिन मुंबई महानगर पालिका चुनाव के मद्देनजर बीजेपी में उपयुक्त चेहरे की तलाश है। इस बार विधायक का टिकट काट कर बेरोजगार कर दिए गए सुनील राणे का नाम चर्चा में है। इसके अलावा अतुल भातखलकर, अमित साटम जैसे विधायकों के नाम की चर्चा है। लोकसभा में टिकट कट दिए जाने के बाद शांत बैठे मनोज कोटक का नाम भी चल रहा है और मुंबई का उत्तरभारतीय हिंदी भाषी समाज के नेता भी अपना नाम चलवा रहे हैं परंतु बीएमसी चुनाव से पहले बीजेपी मुंबई में मराठी अध्यक्ष ही देना चाहेगी इतना तो तय है।
संघ का संग जरूरी है
दरअसल, महाराष्ट्र में चुनाव जीतने के मामले में ‘महायुति’ गठबंधन में सबसे अहम किरदार बीजेपी का रहा, तथा उस किरदार को अहम बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका संघ परिवार की रही। सूत्र कहते हैं कि 149 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी के कुल 132 यानी 90 फीसदी उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे, तो यह संघ की ही रणनीति थी। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी से मुख्यमंत्री ब्राह्मण होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर कोई मराठा या ओबीसी प्रदेश होगा, और मुंबई में भी कोई मराठा ही बनेगा, ऐसा माना जा रहा है।
कैसे नेता की जरूरत
सूत्र बताते हैं कि संघ को मुंबई और महाराष्ट्र दोनों बीजेपी अध्यक्ष पदों के लिए सांगठनिक रूप से ताकतवर नेता चाहिए, जो संतुलन साधने के साथ सबको साथ लेकर चल सके, जिसकी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ भी पटरी बैठती हो और इसके साथ ही वह जातिगत समीकरण में भी पूरी तरह से फिट बैठता हो तथा रणनीतिक रूप से सफल भी हो।