पालघर में स्वास्थ्य व्यवस्था के बुरे हाल…सड़के खस्ताहाल, एंबुलेंस में ही करानी पड़ी डिलीवरी

गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं के कारण ग्रामीण अस्पताल से पड़ोसी ठाणे जिले ले जाते वक्त 25 वर्षीय एक महिला ने एक डॉक्टर की मदद से एम्बुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया। इसके पीछे इन कारणों का हुआ खुलासा, जानें पूरा मामला।

पालघर: पालघर में आए दिन स्वास्थ्य सुविधा तो कभी सड़कों की खराब हालात के कारण किसी-न-किसी प्रकार की अनहोनी की खबर आती रहती है। पालघर में स्वास्थय सुविधाओं की कमी के कारण आए दिन प्रसव के दौरान ही कभी बच्चे तो कभी मां की जान जोखिम में आ जाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां स्वास्थय सुविधा तो कमजोर थी ही लेकिन सड़कों की खस्ता हालत ने भी एक गर्भवती महिला की जान खतरे में डाल दी।

गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं से ग्रस्त 25 वर्षीय एक महिला ने एक डॉक्टर की मदद से उस समय एम्बुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया जब उसे यहां के एक ग्रामीण अस्पताल से पड़ोसी ठाणे जिले ले जाया जा रहा था। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

महाराष्ट्र के पालघर जिले में वाडा ग्रामीण अस्पताल के डॉक्टर अधीक्षक डॉ. यादव शेखरे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि अस्पताल में प्रसव संबंधी इस प्रकार के नाजुक मामलों के प्रबंधन के लिए विशेष सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कहा कि महिला को बेहतर देखभाल के लिए ठाणे के अस्पताल में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को ‘‘सड़कों की खराब स्थिति” ने और जटिल बना दिया।

भ्रूण हुआ प्रभावित

उन्होंने कहा कि महिला कल्याणी भोये को तीव्र प्रसव पीड़ा होने पर उसका परिवार उसे 13 दिसंबर की सुबह ग्रामीण अस्पताल लाया था। अधिकारी ने बताया कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने पाया कि भ्रूण की धड़कन अनियमित थी और बच्चे ने गर्भ में ही ‘मेकोनियम’ (मल) त्याग दिया था, जो अक्सर भ्रूण के संकट में होने का संकेत होता है।

डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए महिला को बेहतर उपचार के लिए 75 किलोमीटर दूर स्थित ठाणे सिविल अस्पताल में तुरंत रेफर कर दिया। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि महिला को तुरंत एक डॉक्टर के साथ जरूरी उपकरणों से लैस एम्बुलेंस में ले जाया गया लेकिन सड़कों की खराब स्थिति और ऊबड़-खाबड़ इलाके के कारण यात्रा के 10 किलोमीटर बाद ही महिला का एम्बुलेंस के अंदर ही प्रसव कराना पड़ा।

एंबुलेंस में ही की डिलीवरी

उन्होंने बताया कि एम्बुलेंस में मौजूद डॉक्टर ने एक स्वस्थ बच्चे के सुरक्षित जन्म लेने में मदद की। डॉ. शेखरे ने बताया कि प्रसव के बाद तत्काल देखभाल की आवश्यकता को देखते हुए एम्बुलेंस को वापस वाडा ग्रामीण अस्पताल लाया गया जहां मां और नवजात शिशु दोनों की डॉक्टरों ने देखभाल की।

उन्होंने बताया कि मां और बेटा दोनों खतरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अस्पताल में ऐसे मामलों के लिए आवश्यक विशेष सुविधाओं का अभाव है लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में हर दिन छह प्रसव होते हैं, जिनमें दो से तीन ऑपरेशन से होते हैं।

डॉ. शेखरे ने दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढांचे और उपकरणों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने डॉक्टरों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘‘सड़कों की खराब स्थिति” के कारण महिला को ठाणे ले जाने की प्रक्रिया जटिल हो गई।

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