बॉम्बे हाइकोर्ट का आदेश… ‘दिवाली पर मुंबई में शाम 7 से 10 जलेंगे पटाखे’

मुंबई : वायु प्रदूषण को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का कहना है कि नागरिकों को ही तय करना है कि वह रोग मुक्त पर्यावरण चाहते हैं या दिवाली पर पटाखे छुड़ाना चाहते हैं। हालांकि, हाई कोर्ट 12 नवंबर को दिवाली के अवसर पर शाम सात बजे से दस बजे तक मुंबई वासियों को पटाखे छुड़ाने की मंजूरी देते हुए कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।

साथ ही कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा क्योंकि जनता का इस विषय पर अलग विचार है। संविधान में अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने का अधिकार दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने सोमवार को कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा क्योंकि जनता का इस विषय पर अलग विचार है।

संविधान में अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने का अधिकार दिया गया है। इसलिए, हम पटाखे छुड़ाने के लिए एक निश्चित समय का निर्धारण कर सकते हैं। नगरपालिका प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करना होगा कि दिवाली पर पटाखों को केवल शाम सात बजे से रात आठ बजे तक ही छुड़ाया जाए। खंडपीठ ने सभी निर्माण कंपनियों के वाहनों पर निर्माण सामग्री ले जाने के दौरान उसे तिरपाल से ढंक कर ले जाने को कहा है।

साथ ही कहा कि हम इन हालात की निगरानी शुक्रवार (दस नवंबर) तक करेंगे। अगर वायु गुणवत्ता फिर भी खराब रही तो हम निर्माण सामग्री ढोने वाले वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा देंगे। अदालत ने कहा कि वह पटाखे जलाने पर रोक लगाने का आदेश नहीं देने जा रहे हैं, लेकिन महानगर में वायु गुणवत्ता के सूचकांक (एक्यूआइ) के गिरते स्तर को लेकर भी संतुलन बनाना होगा। अब हमें एक चुनाव करना होगा। अब जनता को फैसला करना है कि वह दिवाली पर पटाखे छुड़ाना चाहते हैं या फिर रोगमुक्त वातावरण में रहना चाहते हैं।

खंडपीठ ने कहा कि वह पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लग रहा हैं। पटाखों का पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है यह जानने के लिए हम विशेषज्ञ नहीं हैं। लेकिन अगर उसका असर पड़ता है तो किस हद तक पड़ेगा। हम फिर भी सीधे-सीधे यह नहीं कह सकते कि पटाखे नहीं जलाए जाएंगे। सरकार को इस संबंध में विचार करना चाहिए।

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