बेस्ट की दयनीय स्थिति… सवारियों के लिए उचित बसों की संख्या बनाए रखने में असफल
मुंबई : औसतन ३५ लाख दैनिक सवारियों के साथ बेस्ट उपक्रम मुंबई शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, यह सेवा जिसे लोकल ट्रेनों के बाद मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन के रूप में जाना जाता है वह अपनी सवारियों के लिए उचित बसों की संख्या बनाए रखने में असफल है। बेस्ट की स्थिति बहुत दयनीय चल रही है, बसों की दिन-प्रतिदिन घटती संख्या चिंता का विषय बना हुआ है। नतीजतन, यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें बस स्टॉप पर लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है।
दिसंबर २०१२ में बसों की संख्या ४,६५७ थी, जो अब घटकर लगभग ३,००० रह गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, संख्या में कटौती के पीछे मूल कारण नई बसों की आपूर्ति में देरी और पुरानी बसों की लाइफ पूरी होने के कारण वाहनों को स्व्रैâप करना पड़ रहा है। औसतन, हर महीने लगभग १२ पुरानी बसें हटाई जा रही हैं, जबकि नई बसें इस कमी को पूरा नहीं कर पा रही।
अधिकारियों ने २०२४ की शुरुआत में ७,००० और २०२६ तक १०,००० बसों की संख्या पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
हालांकि, मौजूदा स्थति से यह लगता है कि इन बसों की संख्या इतना होना काफी मुश्किल भरा है। बेस्ट समिति के पूर्व सदस्य रवि राजा ने कहा कि बसों की संख्या में गिरावट की प्रवृत्ति को बदलने और इस महत्वपूर्ण सार्वजनिक परिवहन सेवा में यात्रियों का विश्वास बहाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। नई बसें मिलने में देरी और बैटरी परीक्षण से जुड़ी चुनौतियों ने समस्या को बढ़ा दिया है।
बेस्ट समिति के पूर्व सदस्य और श्रमिक संघ नेता सुनील गनाचारी ने बेस्ट का मासिक परिचालन घाटा २५० करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया। बढ़ती परेशानी के लिए मनपा को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जब मनपा ने टिकट की कीमतों में कटौती को अनिवार्य किया तो बेस्ट की आय को झटका लगा। आय और खर्च के बीच अंतर को पाटना नगर निकाय की नैतिक जिम्मेदारी है।
मनपा ने पहले बेस्ट को आर्थिक रूप से समर्थन देने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया है।
बेस्ट ने औपचारिक रूप से मनपा से ३,४१९ करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता के लिए रिक्वेस्ट की है। बेस्ट ने मनपा से २,२३७ नई बसें खरीदने के लिए तत्काल धन की आवश्यकता को बताया गया है।