बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला, बेटी की शादी के बाद ही भरण पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त होगा पिता…

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया है कि बेटी की शादी के बाद ही पिता उसकी भरण पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त होगा, अन्यथा बालिग बेटी की कमाई के सबूत के अभाव में उसकी देखरेख व भरण पोषण पिता का कर्तव्य है। पत्नी व बेटी के मेनटिनेंस (भरण पोषण) की रकम को बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर की गई पति की याचिका को खारिज करते हाई कोर्ट ने यह बात कही।

याचिका में पति ने दावा किया था कि कृषि व्यवसाय से उसकी पत्नी और बेटी को क्रमशः ढाई सौ से दो सौ रुपये रोजाना मिलते हैं। साल 2021 में बालिग बेटी का विवाह हो गया है, जबकि पत्नी ने उसका साथ छोड़ दिया है। इसलिए मां-बेटी मेनटिनेंस की हकदार नहीं है। फैमिली कोर्ट ने 2015 में पति के 46 हजार रुपये से अधिक वेतन को देखते हुए पत्नी को आठ हजार रुपये और बेटी को सात हजार रुपये बतौर भरण पोषण देने का निर्देश दिया था।

इससे पहले 2006 कोर्ट ने पति को पत्नी को 1200 रुपये और बेटी को एक हजार रुपये देने का निर्देश दिया था। पति की याचिका के मुताबिक, मेनटिनेंस को तय करते समय फैमिली कोर्ट ने उसकी वित्तीय स्थिति पर विचार नहीं किया है। उसके वेतन से 27 हजार रुपये कटते हैं। इसमें से 15 हजार रुपये स्टॉफ सोसाइटी से लिए गए लोन की किश्त चुकाने में जाते हैं। इस लिहाज मेंटेनेंस की रकम काफी ज्यादा है।

कई वर्षों बाद बढ़ी मेनटिनेंस की रकम
जस्टिस भारती डागरे ने सुनवाई के बाद कहा कि मेनटिनेंस की रकम कई वर्षों के अंतराल में बढ़ाई गई है। यह रकम पति के वेतन पर विचार करने के बाद बढ़ाई गई है। इसलिए भरण पोषण की रकम में बढ़ोतरी करने के फैसले में कोई खामी नजर नहीं आती है। याचिकाकर्ता बालिग बेटी की शादी के बाद ही उसके भरण पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त होगा।

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