मुंबई-पुणे को दहलाने की साजिश का पर्दाफाश… 15 अगस्त के करीब टाइम बम से होना था ब्लास्ट
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र ATS ने हाल ही में ISIS और अल सूफा के आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में खुलासा हुआ है कि 15 अगस्त के करीब आतंकी पुणे से लेकर मुंबई तक एक दो जगह नहीं बल्कि कई जगहों पर ब्लास्ट कर देश में दहशतगर्दी पैदा करने की फिराक में थे.
पहला टारगेट पुणे और दूसरा टारगेट मुंबई था. मुंबई में छाबड़ हाउस इनके निशाने पर था तो पुणे में कई भीड़भाड़ वाले इलाके और कई सरकारी कार्यालय निशाने पर थे. सबसे बड़ी बात ये है कि आतंकियों के निशाने पर भारत और इजरायल दोनों ही देश से जुड़े हुए संस्थान थे.
सच कैसे आया सामने ?
दरअसल, 18 जुलाई की रात पुणे के कोथरूड में बाइक चोरी के शक में पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया, जबकि एक फरार हो गया. जांच में पता चला कि कार और बाइक की चोरी करने के पीछे कोई मामूली चोरी नहीं बल्कि देश के खिलाफ जंग और आतंकवाद का बेहद खौफनाक चेहरा है, जो समय रहते हाथ नहीं आते तो महाराष्ट्र की धरती पर 1992-93 जैसा हमला दोहराया जाता. पूछताछ में पकड़े गए दो युवक आतंकी संगठन अल सूफा के स्लीपर सेल के लिए काम करते हैं और शाहनवाज इनका गॉड फादर था, जिसके इशारे पर सारी साजिश रची जा रही थी.
केस पुणे पुलिस से ATS को हैंडओवर हुआ तो और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. एटीएस सूत्रों के मुताबिक, पुणे के कोथरुड से गिरफ्तार किए गए दोनों युवक पश्चिमी महाराष्ट्र में पूर्व में चोरी की गई मोटरसाइकिलों पर 1000 किमी से अधिक की यात्रा की. वे जंगल की रेकी करते थे. वे बम बनाने के बाद ब्लास्ट के लिए जंगल के लोकेशन खोजते थे और कोल्हापुर से सतारा से पुणे तक इन्होंने ऐसे कई ठिकाने बना भी लिए थे.
इन्होंने एक आतंक की लैब भी बनाई थी. एटीएस ने गिरफ्तार आरोपियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने लिए रत्नागिरी जिले से आईटी इंजीनियर एस एन काजी (27 साल) और गोंदिया से कादिर दस्तगीर पठान (33 साल ) को गिरफ्तार किया है. काजी के एकाउंट से एक बार हुए ऑनलाइन पेमेंट इसकी गिरफ्तारी का आधार बन गया. बाकी समय पेमेंट कैश में हुए थे. सूत्रों के मुताबिक 3 बार पेमेंट की बात अभी तक सामने आई है.
इसी मामले में ATS ने ज़ुल्फ़िकार अली बड़ौदावाला को गिरफ़्तार किया है. दरअसल ज़ुल्फ़िकार अली बड़ौदावाला पहले से ISIS आतंकी संगठन से जुड़े होने के चलते NIA की गिरफ्तमें आने के बाद न्यायिक हिरासत में मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद था. जुल्फिकार को 3 जुलाई 2023 को NIA ने महाराष्ट्र ISIS मोड्यूल के तहत प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया था.
ज़ुल्फ़िकार को 11 अगस्त तक ATS कस्टडी में भेज दिया गया है, जहां कई और खुलासे होने की उम्मीद है. ज़ुल्फ़िकार पर आरोप है कि उसने अन्य आरोपियों को फंड मुहैया कराया था. जुल्फिकार अली NIA द्वारा गिरफ्तार आतंक के डॉक्टर अदनान अली सरकार का साला है.
हाल ही में NIA ने डॉक्टर अदनान अली सरकार को भी गिरफ्तार किया है. उसकी 8 अगस्त तक NIA कस्टडी है. पेशे से आईटी इंजीनियर बड़ौदावाला मुंबई स्थित एक फर्म में काम कर रहा था जिसका कार्यालय पुणे में था. जांच अधिकारियों के अनुसार ये IT एक्सपर्ट पिछले कुछ वर्षों से पुणे में रह रहा था.
पुणे ATS को मिली आतंक की लैब
पुणे एटीएस ने गिरफ़्तार आरोपियों की निशानदेही पर एक जगह छापा मारकर बम बनाने के उपयोग में आने वाले केमिकल और सामानों को जब्त किया. आरोपी बम बनाकर बड़े शहरों में धमाका करने का बड़ा प्लान बना रहे थे. एटीएस ने पुणे से एक छुपी हुई जगह पर छापा मारकर बम बनाने वाली चीजों को जब्त किया है जोकि सब लैब मटेरियल है. सबसे बड़ी बात है कि आतंकी टाइम बम के जरिए ब्लास्ट की फिराक में थे.
आरोपियों की निशानदेही पर जिस दुकान से सभी सामानों की खरीदी की गई उस दुकान की पहचान की गई. इन सभी प्रयोगशाला की चीजों को एक गुप्त जगह पर छुपाकर रखा गया था. इसके पहले आरोपियों के पास से केमिकल पावडर भी बरामद हुआ था. 500 GB डाटा में पुणे जिले के कई स्थानों की ड्रोन से ली गई तस्वीरें और गूगल मैप से विभिन्न स्थानों के स्क्रीनशॉट शामिल हैं. इसमें मुंबई के छाबड़ हाउस की कुछ तस्वीरें भी हैं. वहीं, राजस्थान में हमले की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दोनों संदिग्ध आतंकवादियों के पास से मुंबई के छाबड़ हाउस की तस्वीर बरामद होने के बाद मुंबई पुलिस को भी सूचित किया गया था.
आतंकियो के घर से एक तंबू भी बरामद किया गया, जिसे दोनों ने पुणे के निकटवर्ती जिले के वन क्षेत्रों में रहने के लिए कथित तौर पर खरीदा था. दोनों संदिग्ध जब भी टोह लेने जाते थे, तो होटल में रुकने से बचते थे और तंबू में रहते थे. वे राज्य में कई जगह गए हैं. संदिग्ध आतंकवादी वीडियो और तस्वीरें लेने के लिए ड्रोन का उपयोग करते थे, लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने इनकी मदद से कितनी और कौन कौन सी तस्वीरें ली हैं. पुणे के दर्जन भर ठिकाने इसमे शामिल हैं लेकिन स्पेसिफिक लोकेशन समझने के लिए रिपोर्ट का आना जरूरी है.
केमिकल एक्सप्लोसिव पावडर की रिपोर्ट भी आनी बाकी है. ATS के मुताबिक ड्रोन का उपयोग करके किस जगह की तस्वीरें ली गईं या वीडियो बनाए गए, यह फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा. अभी ड्रोन का फुटेज नहीं मिला है, क्योंकि उसे फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है. साथ ही छाबड़ हाउस और पुणे के कई ठिकानों की गूगल इमेज जरूर मिली है. ऐसे में उन जगहों पर सुरक्षा पुख्ता की गई है.