लॉकअप में उतरवा दिए टीचर के कपड़े… हाई कोर्ट ने फिर पुलिस को सिखाया कानून

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने टीचर को बिना कपड़ों के लॉकअप में बंद रखने को लेकर पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि क्या किसी की इज्जत पुलिस के लिए मायने नहीं रखती है। म्यूजिक टीचर पर स्टूडेंट को अश्लील वीडियो दिखाने का आरोप लगा था, जिसको लेकर पुलिस ने टीचर को उठाकर लॉकअप में बंद कर दिया था। शिक्षक की पत्नी ने अवैध हिरासत से पति की तत्काल रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। इस मामले में कोर्ट ने पुलिस उपायुक्त अकबर पठान को सीसीटीवी की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

बीते जून महीने में छात्रा की शिकायत पर मलाड पुलिस स्टेशन में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें क्षेत्राधिकार की परवाह नहीं की गई। संबंधित स्टेशन में स्थानांतरित की गई एफआईआर दर्ज में बताया गया कि शिक्षक ने छात्रा को अश्लील वीडियो दिखाए थे। 7 जुलाई को एफआईआर को ताड़देव थाने में ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद शिक्षक पर आईपीसी की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) और 509 (शब्द, इशारा या किसी महिला की गरिमा का अपमान करने का इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया।

म्यूजिक टीचर की गिरफ्तारी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 17 जुलाई को जब टीचर को पता चला कि उनकी गिरफ्तारी होने वाली है। इसके बाद उनके वकील ने जमानत की पेशकश की। इसके बावजूद टीचर को रात साढ़े 9 बजे हिरासत में ले लिया गया। वकील ने अगली सुबह कोर्ट को दिए हलफनामे में बताया कि प्रियंका कदम एक प्रोबेशन पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने अनजाने में टीचर की गिरफ्तारी कर ली। दोपहर ढाई बजे कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि टीचर को करीब डेढ़ बजे छोड़ दिया गया था। कोर्ट की ओर से कहा गया कि हलफनामे का मतलब हिरासत को सही ठहराने जैसा है।

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