संक्रामक बीमारियों के मामला तिगुनी गति से बढ़ा…

मुंबई : वैश्विक महामारी कोरोना काल में स्टमक फ्लू के मामले तेजी से घटे थे, लेकिन अब यह तिगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल २०२० में मुंबई में २,५४९ लोग स्टमक फ्लू के शिकार हुए थे। इसके बाद साल २०२१ में बीमारी का ग्राफ बढ़ गया और एक साल में ३,११० मरीज सामने आए।

लॉकडाउन पूरी तरह हटने के बाद स्टमक फ्लू के मरीजों की संख्या में फिर से वृद्धि हुई और साल २०२२ में यह बढ़कर ५,५३९ पर पहुंच गया। लेकिन इस वर्ष जनवरी से ८ जुलाई तक स्टमक फ्लू से पीड़ित लोगों की संख्या ८,१९५ तक पहुंच गई है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान बाहर का खानपान लगभग बंद था।

हालांकि, लॉकडाउन के बाद कार्यालय और बाहर का खानपान फिर से खुल गया। इसलिए मामले फिर से बढ़ने लगे। मानसून में स्टमक फ्लू होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए लोगों को उबला हुआ पानी ही पीना चाहिए। जेजे अस्पताल में गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. अजय भंडारवार के मुताबिक, ओपीडी में रोजाना स्टमक फ्लू के कई मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं।

हालांकि सबसे अच्छी बात यह है कि अस्पताल में भर्ती होनेवाले मरीजों की संख्या बहुत कम है। स्टमक फ्लू के मरीजों को भर्ती होने की नौबत उस समय आती है जब दस्त और उल्टी के कारण मरीज के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। मनपा में कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह के मुताबिक, दूषित खाना स्टमक फ्लू रोगियों के बढ़ने में मददगार साबित हो रहा है।

उन्होंने यह भी कहा है कि रिपोर्टिंग प्रणाली में कई बदलाव किए गए हैं, जिस कारण स्टमक फ्लू के साथ ही अन्य संक्रामक बीमारियों के मामले अधिक संख्या में सामने आ रहे हैं। फिलहाल इस बीमारी से बचने के लिए लोग खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं और उबला हुआ पानी पिएं। व्यक्तिगत सफाई बहुत जरूरी है।

उल्टी जैसा महसूस होना, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन के साथ दर्द, पहले दो दिनों तक बुखार आदि इसके लक्षण हैं। बीमारी से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता रखनी चाहिए, अच्छे से पकाए हुए भोजन का सेवन करना चाहिए और उबला हुआ पानी पीना चाहिए। भोजन को ढककर रखना चाहिए और बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए। जेजे अस्पताल में कार्यरत डॉ. अमोल बाघ के मुताबिक, मानसून के दौरान दूषित भोजन या पानी से स्टमक फ्लू होता है। उन्होंने कहा कि इसे नजरअंदाज करने पर यह लीवर, किडनी और अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।

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