यमुना के बाढ़ से ठहरी दिल्ली… लॉकडाउन की तरह एक बार फिर राजधानी में पसरा सन्नाटा

यमुना के कहर से आज दिल्ली का ज्यादातर इलाका ग्रस्त है और पूरा जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. राहत की बात यह है कि यमुना के जलस्तर में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन इससे राजधानी में आई बाढ़ में कोई फर्क नहीं पड़ा है. सरकार के साथ विभिन्न सिविक और सुरक्षा एजेंसियां लोगों के राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.

इससे लोगों को थोड़ी राहत तो जरूर मिल रही है, लेकिन शायद वो काफी नहीं है. यमुना के बाढ़ का सबसे ज्यादा असर यमुना के तटीय और दिल्ली के निचले इलाकों में पड़ा है. जहां से लोगों को या तो पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है या फिर वे अपने घरों में बंद हो कर रह रहे हैं और मदद के लिए सरकार की तरफ देख रहे हैं.

बाढ़ से बने लॉकडाउन जैसे हालात
ये हालात ठीक वैसे ही हैं, जैसा कि साल 2020 में लगाए गए पहले लॉकडाउन के दौरान हुआ था. बाढ़ की हालिया परिस्तिथियों के कारण लोगों की आंखों के सामने एक बार फिर से वो मंजर तैर गया जो देश ने लॉकडाउन के दौरान देखा था. उस वक़्त की वैश्विक महामारी ने देश ही नहीं पूरी दुनिया को कैद कर दिया था, लेकिन आज यमुना के रौद्र रूप से दिल्ली के लोग भी कुछ वैसे ही हालातों से गुजर रहे हैं. जो जहां हैं वहीं फंसा हुआ है, जो घरों से निकल चुके हैं वे राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं. चिकित्सा, भोजन-पानी आदि के लिए सरकार और समाजसेवी संगठनों पर आश्रित हैं.

स्कूल-कॉलेज सहित ज्यादातर सरकारी-गैर सरकारी संस्थान बंद
यमुना के थोड़ा शांत होने के बाद भी विभिन्न इलाकों में फंसे लोग कहीं भी आ-जा नहीं पा रहे हैं. बाढ़ ग्रस्त इलाका सुनसान पड़ा है, जहां हर तरफ पानी का सैलाब नजर आ रहा है. जिस तरह लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद था, उसी तरह दिल्ली में इस वक़्त सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी 16 जुलाई तक बंद हैं.

आवश्यक सेवाओं से जुड़े दफ्तरों को छोड़कर अन्य सभी दफ्तरों को रविवार तक बंद करने का निर्देश जारी किया गया हैं. प्राइवेट दफ्तरों, कंपनियों और निजी प्रतिष्ठानों को भी सलाह दी गई है कि वे रविवार तक अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहें. वहीं, दूसरे राज्यों से कश्मीरी गेट बस अड्डे आने वाली बसों को सिंधू बॉर्डर पर ही रोकने का निर्देश दिया गया है. जहां से डीटीसी बसों की व्यवस्था की जाएगी.

अस्पताल में पानी घुसने से मरीजों को किया गया शिफ्ट
वहीं चिल्ला, लोनी और बदरपुर बॉर्डर से केवल आवश्यक चीजें लाने वाली गाड़ियों को ही एंट्री दी जा रही है. साथ ही कश्मीरी गेट और आस-पास के की दुकान बंद को हालात सुधरने तक रखने के लिए कहा गया है. लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से चिकित्सीय आपात स्थिति उत्पन्न हुई थी, वैसे ही कुछ हालात इस बाढ़ के दौरान भी देखने को मिली.

जहां दिल्ली के सरकारी ट्रॉमा सेंटर में पानी घुसने के कारण महज पौने तीन घन्टों में 65 मरीजों को अस्पताल प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की सहायता से एलएनजेपी अस्पताल में शिफ्ट किया गया. जहां उनका इलाज सुचारु रूप से हो सके. कुल मिला कर आज राजधानी दिल्ली के हालात बिल्कुल वैसे ही नजर आ रहे हैं, जैसे लॉकडाउन के दौरान था.

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