महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार के लिए ‘बगावत’ की राह नहीं है आसान! आंकड़ों के दावे और हकीकत में फंसा पेंच…
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है. शिवसेना में हुई बगावत के एक साल बाद अब एनसीपी में भी विद्रोह हो गया है. एनसीपी नेता अजित पवार कई विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गए हैं. उन्होंने रविवार (2 जुलाई) को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली.
राजभवन में हुए शपथग्रहण समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे. अजित पवार के अलावा एनसीपी के अन्य नेताओं- पूर्व गृह मंत्री दिलीप वाल्से पाटिल, अनिल पाटिल, हसन मुश्रीफ, संजय बनसोडे, अदिति तटकरे, धर्माराव और धनंजय मुंडे ने भी महाराष्ट्र के मंत्री पद की शपथ ली है.
अजित पवार की बगावत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे कि अजित पवार के साथ एनसीपी के कितने विधायक हैं, क्या वे दल-बदल कानून से बच पाएंगे. क्या अजित पवार के लिए पाला बदलना मुश्किल होगा? आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं.
दल-बदल कानून से बच पाएंगे अजित पवार?
विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं और ऐसा माना जा रहा है कि उनमें से 30 विधायक अजित पवार के साथ हैं. दल बदल कानून से बचने के लिए दो तिहाई विधायकों का अजित पवार के साथ आना जरूरी है. मतलब अजित पवार को एनसीपी के 36 विधायकों का साथ चाहिए. हालांकि, पार्टी के ज्यादातर विधायक शरद पवार के समर्थक हैं. इस स्थिति में उनका पाला बदलना मुश्किल है.
चुनाव आयोग की प्रक्रिया क्या है?
चुनाव आयोग की प्रक्रिया के मुताबिक अगर किसी भी राजनीतिक दल में टूट होती है और वह टूट दो तिहाई की होती है, तो पार्टी में वर्टिकल स्प्लिट होता है. यानी कि सांसद विधायक से लेकर कार्यकर्ताओं तक में टूट होती है तो चुनाव आयोग बड़े खेमे को मान्यता दे सकता है जैसा कि एकनाथ शिंदे के मामले में किया गया.
अजित पवार ने क्यों की बगावत?
शपथ लेने से पहले रविवार को अजित पवार ने मुंबई में अपने आधिकारिक आवास में पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों से मुलाकात की थी. इसके बाद वे एनसीपी नेताओं के साथ राजभवन गए. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार के साथ गए कुछ विधायक, पटना में विपक्षी दलों की बैठक में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने और उन्हें सहयोग देने शरद पवार के एकतरफा फैसले से नाराज थे.