महाराष्ट्र के लोगों के लिए खुशखबरी, म्हाडा लॉटरी से नेताओं, सरकारी कर्मियों का आरक्षण होगा खत्म !

मुंबई: महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने लॉटरी प्रक्रिया में से लोकप्रतिनिधि, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और म्हाडा कर्मियों का कोटा रद्द करने का निर्णय लिया है। म्हाडा ने अपने इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेज दिया है। लॉटरी प्रक्रिया में नेताओं, म्हाडा व सरकारी कर्मचारियों के लिए करीब 11 प्रतिशत घर आरक्षित होता है।

म्हाडा ने अब यह कोटा रद्द कर उसे अत्याचार पीड़ित महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, तृतीय पंथियों, असंगठित वर्ग के मजदूरों के लिए आरक्षित करने का फैसला किया है। फिलहाल म्हाडा की लॉटरी प्रक्रिया के तहत म्हाडा कर्मी, लोक प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अत्यल्प वर्ग में 2-2 प्रतिशत घर आरक्षित है, जबकि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अत्यल्प वर्ग में 5 प्रतिशत घर आरक्षित है।

लॉटरी में लोकप्रतिनिधि, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और म्हाडा कर्मियों के लिए अत्यल्प वर्ग में छोटे घर आरक्षित रखे गए हैं, जबकि इन सबकी आमदनी अत्यल्प वर्ग से अधिक होती है। छोटा घर और कमाई अधिक होने के कारण इस वर्ग के लोग लॉटरी में आरक्षित घरों के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं। नतीजतन लॉटरी के करीब 11 फीसदी घर खाली ही रह जाते हैं। अब इनके कोटे के घरों को जरूरतमंद लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि उनके घरों का सपना पूरा हो पाए।

बता दें कि लॉटरी के नियमों में सुधार करने के लिए वर्ष 2012-13 में एक समिति का गठन किया गया था। वर्ष 2014 में समिति ने अपने सुझाव म्हाडा को दिए थे। हालांकि वर्ष 2022 तक समिति की रिपोर्ट की अनदेखी की गई। इस साल, यानी वर्ष 2023 में इस रिपोर्ट में दिए गए सुझाव पर विचार शुरू हो गया है। म्हाडा लॉटरी प्रक्रिया में पुराने नियमों के कारण जरूरतमंदों को किफायती दाम पर घर उपलब्ध कराने में सरकार को कई तरह की परेशानी हो रही थी। अब इस दिक्कत को दूर किया जा रहा है।

म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लॉटरी में जन प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित 11 प्रतिशत का मौजूदा कोटा रद्द करने की सरकारी मंजूरी मिलने के बाद इसका लाभ अन्य वर्ग के लोगों को दिया जाएगा। इसके तहत अत्याचार पीड़ित महिलाओं को 4 फीसदी, वरिष्ठ नागरिकों को 2 फीसदी, तृतीय पंथियों को 1 प्रतिशत और असंगठित वर्ग के मजदूरों को करीब 4 फीसदी आरक्षण देने का विचार चल रहा है। साथ ही अन्य आरक्षण वर्ग में भी कम आवेदन आने पर उसमें बदलाव हो सकता है।

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