वसई विरार में महंगाई की मार से बंद होने की कगार पर है तबेला व्यवसाय
वसई : घास ,चारा में लगातार बढ़ रही महंगाई से वसई विरार में दूध व्यवसाय करने वाले तबेला धारकों पर बुरा असर पड़ रहा है। तबेला,दूध का व्यवसाय करने वाले व्यापारी लगातार कर्ज में डूब रहे हैं। तबेला व्यवसाई सरकार से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं। तबेला चलाने वालों का कहना है कि महंगाई ने तो पहले ही कमर तोड़ रखी है, जो पहले भैंस 60 से 70 हजार रुपये में एक मिलती थी,अब एक भैंस की कीमत 1 लाख से ज्यादा हो गई है।
वही गाय, भैंस को खिलाने वाले चारे का भाव भी चार गुना बढ़ गया। तबेले में काम करने वाले मजदूर पहले 6 से 7 हजार रुपये हर महीने का लेकर काम करते थे। अब वही मजदूर को 14 से 15 हजार रुपये देने पर भी तबेले में काम करने वाले मजदूर नही मिल रहे हैं। लेकिन दूध के मूल्य में कुछ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। तबेले दूध की बिक्री पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
पैकेट बंद दूध का व्यापार करने वाले प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा विज्ञापन जारी किया जाता ह क (खुला दूध संक्रमित है, कृपया बंद दूध का इस्तेमाल करें। इस तरह के प्रचार का भी तबेले के दूध के व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। तबेला का हाल ऐसा हो गया है कि हम दूध का व्यवसाय बंद कर दें।
नई पीढ़ी के युवक तबेले के व्यवसाय को अब करने के लिए तैयार नही है।पहले से हम लोगो ने तबेले में ही काम किया है मजबूरन हमको वही काम करना पड़ रहा है। पहले जो दूध का धंधा था अब उसका एक चौथाई भी दूध का धंधा नही चल रहा है।