डोर टू डोर वैरीफिकेशन करने की तैयारी कर रहा है जीएसटी विभाग…
मुंबई : व्यापारियों की कथित ‘कर’ चोरी रोकने के लिए सहूलियत के नाम पर शुरू किया गया ‘जीएसटी’ केंद्र सरकार के लिए कमाऊ पूत साबित हुआ है। अप्रैल, २०२३ में केंद्र का जीएसटी राजस्व संग्रह १.८७ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, ऐसा खुलासा हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से हुआ था। एक साल पहले के मुकाबले, इस साल अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन में १९,४९५ करोड़ अधिक हुआ है।
जो कि अप्रैल २०२२ की तुलना में १२ प्रतिशत अधिक है। लेकिन बीते वित्त वर्ष में जीएसटी चोरी के डबल होने का खुलासा जीएसटी विभाग की धन गणना में हुआ है, ऐसा वित्त मंत्रालय ने दावा किया है। अब जीएसटी चोरी रोकने के नाम पर जीएसटी विभाग डोर टू डोर वैरीफिकेशन करने की तैयारी कर रहा है। लेकिन व्यापारियों को इसमें कार्यवाई का डर दिखाकर ब्लैकमेलिंग और वसूली करने का डर दिख रहा है। इसलिए व्यापारी संगठनों ने जीएसटी विभाग के अभियान का विरोध किया है।
बता दें कि वित्त वर्ष २०२२-२३ में जीएसटी चोरी करीब दोगुना होकर १.०१ लाख करोड़ रुपए पहुंच गई। इस दौरान कर चोरी करनेवाले कारोबारियों से सिर्फ २१ हजार करोड़ रुपए की ही वसूली की गई। २०२१-२२ में कर अधिकारियों ने ५४ हजार करोड़ की जीएसटी चोरी का पता लगाया था। अब कर चोरी कम करने के लिए जीएसटी विभाग ने सोमवार १६ मई से व्यापारियों के कार्यस्थल पर जाकर डोर टू डोर वैरीफिकेशन करने की तैयारी की है। इससे व्यापारी घबराए हुए हैं। बताया जा रहा है कि जीएसटी नंबर देने से पहले वैरीफिकेशन किया जाता है।
इसके बावजूद विभाग द्वारा यह प्रक्रिया दोहराने के पीछे वास्तव में कौन सी मंशा छिपी है, इसको लेकर व्यापारी सवाल खड़े कर रहे हैं। व्यापारियों को भय है कि विभाग की यह मुहिम सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। जो कंपनियां नियमित रूप से हर महीने अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल कर रही हैं तथा वैरीफिकेशन की प्रक्रिया जीएसटी नंबर लेने के समय पूर्ण कर चुकी हैं, उनका दोबारा वैरीफिकेशन क्यों किया जा रहा है?