पालघर जिले पानी के लिए मां को होना पड़ता था परेशान पालघर जिले में14 साल के प्रणव ने घर के पास खोद दिया कुंआ

पालघर : प्रणव ने अपनी मां को पीने के पानी के लिए दर -दर की ठोकरें खाते देखा तो उससे रहा न गया और घर के करीब ही पीने के पानी के लिए एक कुंआ खोद डाला। प्रणव के इस काम की चौतरफा प्रशंशा हो रही है। गर्मियों के शुरू होते ही पानी की कमी से पालघर जिले के ज्यादातर हिस्से जूझ रहे हैं। कहीं पानी का लेवल नीचे चला गया है तो कहीं स्रोत सूख गए हैं। जिले में पर्याप्त बारिश होती है। लेकिन, इलाके के पहाड़ी और पथरीले होने के कारण पानी रुक नहीं पाता है।

इसका असर ये है कि गर्मी के दिनों में चार महीने लोगों को पीने के पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। केलवे के धावांगे पाडा गांव की करीब 700 लोकसंख्या है। यहां ज्यादातर भूगभाग खारलैंड है। जिससे बोरिंग सहित पानी के अन्य स्रोतों से पानी खारा निकलता है।

गांव के महाराष्ट्र ग्रामीण जल आपूर्ति योजना के तहत रविवार,मंगलवार,गुरुवार को पानी की सप्लाई होती है,लेकिन सप्ताह में ग्रामीणों को सिर्फ तीन दिन ही पानी मिलने से गांव में पानी किल्लत बनी रहती है। प्रणव का परिवार भी पानी की समस्या से परेशान था। प्रणव की मां दर्शना और पिता रमेश खेतिहर मजदूर के रूप में काम करते हैं। प्रणव की माँ काम से थक हार कर आने के बाद आधा किलोमीटर पानी लेने जाती थी। पानी के लिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

प्रणव ने कहा कि मां को होने वाली रोजाना की परेशानी को देखकर उनसे रहा नही गया और उन्होंने घर के पास ही एक कुंआ खोदना शुरू किया। खुदाई के दौरान उन्हें पत्थर भी मिले लेकिन बिना हिम्मत हारे पिता की मदद से प्रणव ने कुएं की खुदाई का कार्य पूरा कर लिया। और बारह से पंद्रह फीट गहरा गड्ढा खोदने के बाद इसमें पानी मिला है।

जिसके बाद प्रणव के परिवार और अन्य परिजनों में खुशी का ठिकाना नहीं था। कुंआ कच्चा होने की वजह से इससे निकलने वाले पानी का उपयोग बर्तन धुलने,कपड़ा धुलने सहित अन्य कार्यों के लिए सालकर परिवार कर रहा है। नौ वी में पढ़ने वाले प्रणव की जज्बे की वजह से बहुत हद तक पानी की किल्लत से उन्हे राहत मिल गई है।

इस कार्य के लिए सालकर को जिला परिषद के अधिकारियों ने गुरुवार को सम्मानित किया। इस अनुकरणीय कार्य के लिए उसे 11 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई। अधिकारियों ने बताया कि सालकर अपनी मां के कष्ट को नहीं देख सका और उसने उनके लिए कुआं खोद दिया।

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