पालघर में आदिवासी परिवारों के घरों पर दहानू में चला प्रशासन का बुलडोजर…

पालघर : पालघर के दहानू इलाके में सरकार के अधिकारियों की हिटलर शाही सामने आई है। यहां बिना मुआवजा दिए मुंबई बड़ौदा एक्सप्रेस वे के लिए जारी भूसंपादन का कार्य पूरा करने के लिए आदिवासियों को उनके घरों से जबरन खींचकर बाहर निकला गया और फिर उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया।

जबकि इस दौरान आदिवासियों के बुजुर्ग,बच्चे,महिलाएं अधिकारियों से रोते बिलखते मिन्नते करते रहे,लेकिन उनकी एक न सुनी गई। और देखते ही देखते उनके सपनों का आशियाना उनसे छीन लिया गया। और जिसने भी इसका विरोध किया पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। प्रशासन की इस बेरहमी से आदिवासियों में भीषण आक्रोश व्याप्त है।

मामले के गर्माने के बाद आज कई विधायक पीड़ितों से मिलने पहुंचे। आदिवासियों की शिकायत है,परियोजना से प्रभावित होने के बाद उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। धानीवरी इभाड पाडा में रहने वाले ८ आदिवासी परिवारों पर सरकारी कहर टूटा है। इनका कहना है, कि परियोजना से प्रभावित होने के बाद भी न तो उन्हें घर का मुआवजा मिला न ही पेड़ो का और प्रशासन ने जबरन उन्हे घर से बाहर निकाल कर उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया।

इस दौरान न तो बूढ़े देखे गए न तो बच्चे, बीमार। लोगों का कहना है, कि वह करीब तीन पीढ़ियों से यहाँ रह रहे है। लेकिन फिर भी मुआवजे का लाभ उन्हे नही मिल रहा। ग्रामीणों सवाल पूछा है कि शिंदे – फड़नवीस सरकार दावा करती नही थकती कि उनकी सरकार किसानो की सरकार है फिर कैसे आदिवासी किसानो पर अन्याय हो रहा है।

ग्रामीण शैलेश तामड़ा कहते है,कि पुलिस की मदद से जब प्रशासन लोगों के घरों पर बुलडोजर चला रहा था। बूढ़े,बच्चे, महिलाएं बिलख-बिलख कर रो रहे थे। अधिकारियों से मिन्नते कर रहे थे लेकिन उनकी एक नही सुनी गई और सभी को परिवार सहित सड़को पर लाकर छोड़ा गया।

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