होली से पहले CM एकनाथ शिंदे ने ठाणेकरों के लिए दिया बड़ा तोहफा… लाखों लोगों को होगा फायदा

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र की सत्ता जब से शिंदे गुट के हाथ लगी है तब से विकास कार्य जोरों से चल रहा है। ऐसे में आज हम ठाणे के लोगों के लिए एक बहुत अच्छी खबर लेकर आये है। आपको बता दें कि बंबई उच्च न्यायालय ने ठाणे मनोरोग अस्पताल के परिसर को किसी को हस्तांतरित नहीं करने के रोक आदेश को वापस ले लिया है।

इसलिए लगभग 14 एकड़ के मनोरोग अस्पताल में ठाणे से मुलुंड के बीच नए ठाणे रेलवे स्टेशन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। न्यायालय के आदेश के बाद यहां रेलवे स्टेशन के निर्माण कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विश्वास जताया है कि अदालत के इस फैसले से रेलवे स्टेशन के निर्माण में तेजी आएगी और इतना ही नहीं बल्कि इस कार्य से ठाणे और मुलुंड रेलवे स्टेशनों से आने वाले लाखों यात्रियों की परेशानी कम होगी, इनके हित में यह कार्य किया जायेगा।

ठाणे रेलवे स्टेशन पर भार कम करने के लिए मुलुंड और ठाणे स्टेशनों के बीच एक नया ठाणे स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें लगभग सात लाख यात्रियों का रोजाना आवागमन होता है। इस स्टेशन की योजना को ठाणे में शिवसेना के जनप्रतिनिधियों के कई वर्षों के लगातार प्रयास के बाद रेल प्रशासन द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस कार्य के लिए ठाणे नगर निगम की स्मार्ट सिटी योजना के तहत 289 करोड़ रुपये का व्यय भी स्वीकृत किया गया है।

आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा मनोरोग अस्पताल की जगह रेलवे को सौंपे जाने के बाद वास्तविक काम शुरू होना था। हालांकि, 12 अगस्त 2015 को, उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और ठाणे के जिला कलेक्टर को आदेश दिया था कि मनोरोग अस्पताल के परिसर को किसी को स्थानांतरित करके तीसरे पक्ष का हित न बनाया जाए। इसलिए इस रेलवे स्टेशन के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि का हस्तांतरण नहीं किया गया।

नतीजतन, तकनीकी और वित्तीय स्वीकृतियों के बावजूद रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। लेकिन अब इस कार्य को लेकर न्यायालय के निर्णय के बाद सभी रास्ते खुल गए है। दरअसल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सरकार और ठाणे नगर निगम को इस न्यायिक दरार को दूर करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं बल्कि इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक भी हुई।

उसके बाद हाल ही में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में एक हलफनामा पेश किया गया है। इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि व्यापक जनहित के लिए एक नया ठाणे स्टेशन बनाने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए अब इस पर न्यायालय का निर्णय आया है। बता दें कि मनोरोग अस्पताल की 72 एकड़ जमीन में से रेलवे स्टेशन के लिए 14.83 एकड़ जमीन की जरूरत है।

यदि उस स्थान पर रेलवे स्टेशन बन जाता है तो न केवल ठाणे बल्कि मुलुंड रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों का भार कम हो जाएगा। ठाणे और मुलुंड शहरों का तेजी से विस्तार हो रहा है और इन दोनों स्थानों से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अतः उस शपथ पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया कि न्यायालय व्यापक जनहित को देखते हुए भूमि के हस्तांतरण के संबंध में स्थगनादेश हटा ले।

ऐसे में अब जस्टिस गंगापुरवाला और संदीप मार्ने ने शुक्रवार को अनुरोध स्वीकार कर लिया और रोक आदेश हटा लिया गया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि स्थानान्तरित करने से पहले प्रभावित होने वाले मनोरोग अस्पताल के महिला वार्ड के लिए गुणवत्तापूर्ण वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ, लोक अभियोजक पी. काकड़े, निशा मेहरा और ठाणे नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एस, आप्टे और मंदार लिमये ने कार्य किया।

इस कार्य का फायदा यह है कि नए ठाणे स्टेशन के निर्माण से ठाणे स्टेशन पर यात्री भार में लगभग 31 प्रतिशत और मुलुंड स्टेशन पर 21 प्रतिशत की कमी आएगी। व्यापक सार्वजनिक हित और बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक परियोजनाओं के लिए न्यायालय हमेशा एक सकारात्मक रुख अपनाता है। इस निर्णय के अवसर पर एक बार फिर उनका प्रत्यय आया। यह निर्णय जनहित का है यह स्पष्ट हुआ है।

ऐसे में अब खुशखबरी यह है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद रेलवे स्टेशन का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए जाएंगे। एक बार स्टेशन का काम पूरा हो जाने के बाद ठाणे और मुलुंड के लाखों यात्रियों की परेशानी कम हो जाएगी। साथ ही इन दोनों स्टेशनों के आसपास के इलाके में भीड़भाड़ भी दूर होगी। यह विश्वास मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दीया है।

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