पालघर में सरकारी अस्पतालो के स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली ने फिर ले ली एक मासूम की जान!
पालघर : पालघर जिले के सरकारी अस्पतालो में स्वास्थ्य सेवाएं दिनों दिन बिगड़ती जा रही है,जिससे गर्भवती महिलाओ और बच्चो की मौत का दर्दनाक सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद टूटती नही दिख रही है। मोखाड़ा में गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर परिजन भटकते रहे। लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला जिससे नवजात की मौत हो गई।
मोखाड़ा ग्रामीण अस्पताल में भर्ती एक महिला के प्रसव के बाद नवजात शिशु की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है, कि खोडाला प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र में समय पर महिला को इलाज नही मिला जिससे उसके बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई है। इसके बाद परिवार ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। जिसने भी मां और उसके परिवार को तड़पकर रोते देखा, उसकी भी आंखों में आंसू आ गए। परिजनों ने भी रो-रोकर अपनी आपबीती सुनाई कि किस तरह से सरकारी अस्पताल के रवैये ने उसके बच्चे की जान ले ली।
तळ्याचीवाडी निवासी मयुरी अनिल वाघ (19) को प्रसव पीड़ा के बाद रविवार दोपहर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोडाला में भर्ती करवाया गया। महिला के परिजनों का कहना है, कि डॉक्टर और स्वाथ्यकर्मियो ने यहां उसका इलाज नही किया और मयूरी वाघ को मोखाडा के ग्रामीण अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया। एक घंटे बाद जब वह ग्रामीण अस्पताल पहुंचे और महिला को भर्ती करवाने के पंद्रह मिनट बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन उसकी मौत हो गई।
इससे पहले भी कई बार खोडाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदइंतजामी सामने आई है। बता दें कि पालघर जिले में स्वास्थ्य विभाग की बदहाली से अब तक कई महिलाओं और बच्चों की मौत हो चुकी है। हाल ही में मनोर ग्रामीण अस्पताल में डॉक्टर के समय पर नहीं आने के कारण गर्भवती महिला घंटो प्रसव की पीड़ा से तड़पती रहीं और अंत में बच्चे की मौत गर्भ में ही हो गई। और महिला की भी जान नही बचाई जा सकी। जबकि इस दौरान गरीब परिवार जच्चा बच्चा की जान बचाने के लिए डॉक्टर और अधिकारियों की मिन्नते करते रहा।
प्रसव पीड़ा के बाद मयूरी वाघ को खोड़ाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले गए,लेकिन वहां इलाज नहीं किया गया। और ग्रामीण अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया। अगर सही समय पर इलाज होता तो बच्चे की जान बच जाती। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।