पालघर के लाचार सिस्टम और स्वास्थ्य सुविधाओं के खोखले दावे की फिर खुली पोल…

पालघर के लाचार सिस्टम और स्वास्थ्य सुविधाओं के खोखले दावे की फिर खुली पोल…

पालघर : पालघर की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की फिर एक बार पोल खुल गई है। जिले के मनोर ग्रामीण अस्पताल में डॉक्टर के समय पर नहीं आने के कारण गर्भवती महिला घंटो प्रसव की पीड़ा से तड़पती रहीं और अंत में बच्चे की मौत गर्भ में ही हो गई। और महिला की भी जान नही बचाई जा सकी।

जबकि इस दौरान गरीब परिवार जच्चा बच्चा की जान बचाने के लिए डॉक्टर और अधिकारियों की मिन्नते करते रहा।कई बार डॉक्टर को फोन किया गया लेकिन डॉक्टर नहीं पहुंचे। चाहड़े निवासी अनीता वाघ को शुक्रवार सुबह प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद मनोर ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

भर्ती करने के बाद जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि महिला का सामान्य प्रसव संभव नहीं है। इसी बीच महिला की तबियत काफी बिगड़ गई लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के लिए ऑन कॉल स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. यादव उपलब्ध नहीं थे। इसके बाद डॉ. शीतल को बुलाया गया लेकिन वह भी अस्पताल नही आ सकी।

आरोप है, कि इस दौरान महिला करीब ७ घंटे इलाज के अभाव में तड़पती रही और जब उसकी हालत काफी बिगड़ गई तो उसे रेफर कर दिया गया। और उसे मुंबई या सिलवासा ले जाने के लिए कहा गया। मृतक महिला के एक परिजन ने कहा कि इसके बाद महिला को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया लेकिन हालत गंभीर होने पर उसे भर्ती नही किया गया।

इसके बाद महिला को सिलवासा ले जाया जा रहा था लेकिन अस्पताल पहुंचने के पहले ही महिला और गर्भ में बच्चे की मौत हो गई। मनोर ग्रामीण अस्पताल की लापरवाही से आदिवासी महिला और उसके बच्चे की मौत के बाद एक बार फिर सरकारी अस्पतालो में व्याप्त बदहाली और स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए है।

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