श्रद्धा मर्डर केस: ना पुलिस मिली, ना किसी ने टोका… जब महरौली के घने जंगल में रात 2 बजे पहुंचा आज तक

आज तक के संवाददात चिराग ने बताया कि इस जंगल में रात 2 बजे मौजूद होना और अंधेरे को चीरना वाकई आसान काम नहीं है. ये जंगल इतना घना है कि रात में कभी भी कोई भी जानवर किसी की जान ले सकता है.ऐसे में आफताब कई दिनों तक इस जंगल में शरीर के टुकडे़ फेंकता रहा और किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई.

महरौली के जंगल में आजतक

महरौली के जंगल में आजतक

श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की हैवानियत की परतें खुलती जा रही हैं और लोगों को हैरान करती जा रही हैं. अपनी ही गर्लफ्रेंड की हत्याकर, उसके 35 टुकड़े कर देना, लाश के टुकड़ों के साथ उसी घर में रहना और एक-एक कर टुकड़ों को जंगल में जा फेंकना. ये सब सोचने भर से रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. आफताब रोज रात 2 बजे घर से निकलता था और प्लास्टिक में पैक श्रद्धा के लाश के टुकड़े ठिकाने लगाता था. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या दिल्ली जैसे शहर में बिना किसी को भनक लगे किसी लाश के टुकड़े जंगल में फेंक आना इतना आसान है?

रात 2 बजे महरौली के घने जंगल में पहुंचा आजतक

यही जानने के लिए आज तक की टीम महरौली के उसी घने जंगल में पहुंची जहां अफताब हर रोज जाया करता था. रियलिटी चेक के लिए आज तक के रिपोर्टर चिराग गोठी रात 2 बजे ही हाथ में एक बैग लेकर उस जंगल में गए. 

‘बेहद डरावना है जंगल’

चिराग ने बताया कि इस जंगल में रात 2 बजे मौजूद होना और अंधेरे को चीरना वाकई आसान काम नहीं है. ये जंगल इतना घना है कि रात में कभी भी कोई भी जानवर किसी की जान ले सकता है.ऐसे में आफताब कई दिनों तक इस जंगल में शरीर के टुकडे़ फेंकता रहा और किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई.आज तक ने ये जानने की कोशिश की क्या रात 2 बजे शरीर के टुकडे़ एक बैग में रख कर ठिकाने लगाना वाकई इतना आसान है? 

17 मिनट में आफताब के घर से जंगल

ये जानने के लिए आज तक की टीम सबसे पहले पहुंची आफताब के घर, यानी छत्तरपुर पहाड़ी इलाका. वही घर जिसमें आफताब ने श्रद्धा की न सिर्फ हत्या की, बल्कि उसके शरीर के 35 से भी ज्यादा टुकडे़ कर दिए.आज तक संवाददाता चिराग गोठी ने वैसा ही बैग अपने कंधे पर टांगा और पैदल ही जंगल की तरफ निकल पड़े.रास्ते में टीम को कुछ लोग मिले, जिनका कहना था कि यहां पुलिस की गश्त न के बराबर होती है.कुछ ऐसी बिल्डिंग दिखीं, जहां सीसीटीवी लगे हुए थे.रास्ते में कुत्ते दिखे, जो भौंक रहे थे.करीब 17 मिनट में टीम आफताब के घर से पैदल चलकर महरौली के जंगल तक पहुंच गई.2 बजकर 17 मिनट पर टीम जंगल के अंदर थी.

‘आधी रात को जंगल में जाते किसी ने टोका तक नहीं’

संवाददात चिराग को किसी ने भी नहीं टोका. किसी ने ये भी नहीं पूछा कि बैग में क्या है और क्या ले जा रहे हो. इसके बाद टीम महरौली जंगल के अंदर पहुंच गई.घना जंगल, ऊपर से अंधेरा डरा रहा था.इस दौरान टीम को हड्डी भी मिली.जानवरों की आवाजें भी सुनाई दीं.एक अजीब सा डर था इस जंगल में.अब ये बात समझ से परे है कि कैसे इस जंगल में रात में शरीर के टुकड़े लेकर आफताब आता होगा? क्या उसे डर नहीं लगता था?  

मामला इतना बड़ा हो चुका है लेकिन इस दौरान आज तक की टीम को जंगल या उसके आस पास कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आया.न ही रास्ते में कोई पुलिसकर्मी नजर आया. हालांकि वापस जंगल से आफताब के घर जाते वक्त एक पीसीआर जरूर मिली. उसमें से किसी ने कहा- कोई कॉल आ जाती है तो हमें कॉल पर जाना पड़ता है. इस पूरे सफर को टीम ने करीब 1 घंटे में पूरा किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published.