सावरकर पर राहुल गांधी से क्यों असहमत हैं उद्धव ठाकरे? शरद पवार भी कर चुके तारीफ: इतिहास से समझें

राहुल गांधी ने दावा किया कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और कारागार में रहने के दौरान उन्होंने डर के कारण माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी को धोखा दिया था।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के बाद विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर फिर सियासत छिड़ गई है। लेकिन इस बार कांग्रेस को अपने ही सियासी साथी का साथ नहीं मिल रहा है। राहुल के बयान पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने असहमति जता दी है। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि वह सावरकर का सम्मान करते हैं। एक बार इतिहास के लिहाज से इस पूरे सियासी घटनाक्रम को समझते हैं।

पहले, राहुल ने क्या कहा?
भाषा के अनुसार, राहुल गांधी ने गुरुवार को दावा किया कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और कारागार में रहने के दौरान उन्होंने डर के कारण माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी और अन्य समकालीन भारतीय नेताओं को धोखा दिया था। मंगलवार को भी वाशिम जिले में आयोजित एक रैली में हिंदुत्व विचारक सावरकर पर निशाना साधा था।

अब उद्धव क्या बोले?
हिंदुत्व विचारक को लेकर दिए गए राहुल के बयान पर उद्धव ने असहमति जता दी। उन्होंने कहा, ‘हम सावरकर को लेकर राहुल गांधी की तरफ से की गई टिप्पणी का समर्थन नहीं करते हैं। स्वतंत्र वीर सावरकर के लिए हमारे मन में अपार श्रद्धा और सम्मान है और इसे मिटाया नहीं जा सकता।’

इतिहास भी
साल 1921 में अंडमान जेल से रिहा होने के बाद सावरकर रत्नागिरी में थे। खबर है कि उस दौरान उनसे मुलाकात करने वालों में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के पिता और समाज सुधारक प्रबोधंकर ठाकरे भी थे। वह कई राजनीतिक और समाजिक मुद्दों पर सावरकर से चर्चाएं करते थे। वहीं, बाल ठाकरे भी सावरकर की हिंदुत्व विचारधारा की बात करते रहे।
हिंदू राष्ट्रवाद के अलावा कविताओं के जरिए मराठी संस्कृति में योगदान और मराठी भाषा को शुद्ध करने की कोशिशों के चलते भी सावरकर का राज्य में खास दर्जा है। अब कहा जा सकता है कि पारिवारिक संबंध, मराठी भाषा से जुड़ाव और हिंदुत्व विचारधारा के चलते उद्धव ने राहुल के बयान पर असहमति जता दी।

शरद पवार भी कर चुके तारीफ
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार भी हिंदुत्व विचारक की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि सावरकर दलितों के लिए मंदिरों में प्रवेश के बारे में सुधारों की बात करने वाले शुरुआती लोगों में से थे।

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