Air Pollution: दिल्ली-NCR में 5 में से 4 परिवारों पर प्रदूषण का असर, सामने आया चौंकाने वाला सर्वे

दिल्ली-एनसीआर में दीवाली बाद वायु प्रदूषण से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। इस बीच प्रदूषण को लेकर एक सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आयी। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बीच एक सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (community social media platform) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस क्षेत्र के पांच में से चार परिवारों को दूषित हवा के कारण एक या अधिक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली और आस-पास के शहरों के लोगों से सर्वे में पूछा गया कि पिछले सप्ताह से उन्हें किस तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता गंभीर हो गई है। 16 फीसद लोगों ने कहा कि वे गले की खरांस या सर्दी जुकाम से परेशान हैं। अन्य 16 फीसद लोगों ने कहा कि उनके आंखों में जलन हो रही है। जबकि 16 फीसद ने कहा कि उन्हें सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। सर्वे में केवल 20 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा कि प्रदूषित वातावरण से उन्हें कोई परेशानी नही है।

सर्वे में कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर में पांच में से चार परिवार प्रदूषित हवा के कारण एक या अधिक बीमारियों का सामना कर रहे हैं। सर्वे के अनुसार, 24 फीसद लोग ऐसे थे जिन्होंने सर्दी जुकाम के साथ-साथ आंखों में जलन का अनुभव किया। जबकि आठ प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने प्रदूषण के कम से कम दो लक्षणों का अनुभव किया। लगभग 22 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा कि वे या उनके परिवार में कोई न कोई व्यक्ति वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से परेशान हैं और डॉक्टर के पास या अस्पताल भी जा चुके हैं। सर्व में 28 फीसद परिवारों ने कहा कि वे वायु प्रदूषण से बचने के लिए एयर प्यूरीफायर और प्रदूषण रोधी मास्क का उपयोग करने की योजना बनाई है।

लोकल सर्किल ( LocalCircles) की तरफ से कराए गए सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के 91 फीसद लोगों का मानना ​​है कि दीवाली पर पटाखों पर बैन का असर दिखाई नही दिया। पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध को लागू करने में अधिकारी पूरी तरह नाकाम रहे। प्रदूषण को लेकर सर्वे दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में किया गया। इस सर्वे में 34 हजार से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। सर्वे में किए गए प्रश्न का जवाब देने वालों में 66 फीसद पुरुष और 34 फीसद महिलाएं शामिल हुई।

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