नवरात्रि के अवसर पर माता कौशल्या मंदिर चंदखुरी में होगा राम वन गमन पर्यटन परिपथ का उद्घाटन

छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे, छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन 7 अक्टूबर, 2021 को नवरात्रि के शुभ अवसर पर चंदखुरी में स्थित प्राचीन माता कौशल्या मंदिर में एक भव्य समारोह के साथ किया जाएगा। यह नया पर्यटन परिपथ भगवान राम के अयोध्या से 14 साल के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में बिताए गए समय पर आधारित है।

रायपुर, का एक छोटा सा गाँव चंदखुरी, भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म स्थान है। यही वजह है कि इसे प्रभु श्री राम का ननिहाल भी कहा जाता है। माता कौशल्या मंदिर उन्हें समर्पित दुनिया का एकमात्र मंदिर है। हाल ही में पुनर्निमित, भव्य से तालाब के बीचों-बीच स्थित प्राचीन काल का यह खूबसूरत मंदिर, राम वन गमन पर्यटन परिपथ के उद्घाटन समारोह के लिए एक आदर्श एवं भव्य चयन है।

राम वन गमन पर्यटन परिपथ के भव्य उद्घाटन समारोह में नृत्य, संगीत, लेजर शो एवं एलईडी रौशनियों के जरिए प्रभु श्री राम के वनवास एवं छत्तीसगढ़ में उनके प्रवास की कहानियाँ प्रस्तुत की जाएंगी जो श्रद्धालुओं एवं दर्शकों का मन को मोह लेंगी। जाने-माने गायक-संगीतकार शंकर महादेवन इस समारोह में शामिल होने वाले मुख्य अतिथियों में से एक होंगे। अन्य कलाकारों में कबीर के गीतों को अलग अंदाज में प्रस्तुत करने के लिए देश-विदेश में मशहूर पद्म श्री भारती बंधु, गायिका कविता वासनिक, प्रभु श्री राम के भक्ति गीतों को दुनिया के कोने-कोने तक ले जाने वाले मानस (भजन) मंडली नंदकुमार साहू, मुम्बई स्थित फ्यूजन बैंड कबीर कैफे के साथ प्रसिद्ध गायिका सुकृति सेन की जुगलबंदी भी इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में शामिल है। भारतीय रॉक बैंड इंडियन ओसिन द्वारा छत्तीसगढ़ एवं राम वन गमन पर्यटन परिपथ के लिए इस अवसर पर विशेष रूप से तैयार किया गया गीत, खास मौके पर प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही मुम्बई स्थित प्रसिद्ध एक्रोबेटिक नृत्य समूह ‘वी अनबीटेबल’ द्वारा प्रभु श्री राम पर आधारित विशेष नृत्य का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

इस आयोजन से जुड़े कार्यक्रम उद्घाटन समारोह के बाद भी अगले दो दिन तक चलते रहेंगे। अगले दिनों के कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों से इकट्ठा हुए मानस मंडलियों द्वारा संगीतात्मक कार्यक्रम पूरे दिन चलता रहेगा। मानस मंडली की परंपरा छत्तीसगढ़ राज्य की सांस्कृतिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है। इस आयोजन में राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों के स्थानीय कलाकारों को भी भाग लेने का मौका दिया जाएगा। इन कलाकारों में वे मंडलियां भी शामिल हैं जो भक्ति साहित्य में अप्रतिम कृति माने जाने वाले महाकाव्य रामचरितमानस के दोहे गाती हैं।

यह परियोजना, पर्यटन के विकास के माध्यम से राज्य की सांस्कृतिक उन्नति को बढ़ाने एवं उसपर ध्यान केंद्रित करने का अहम हिस्सा है। राम वन गमन पथ की अवधारणा एवं इसका विकास,छत्तीसगढ़ की पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथप्रभु श्री राम के जीवन के गहरे जुड़ाव को उजागर करने का एक अप्रतिम माध्यम है।

“हमारे पौराणिक ग्रंथ, छत्तीसगढ़ राज्य के साथ प्रभु श्री राम के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाते हैं। प्रभु श्री राम ने 14 वर्ष के वनवास में से 10 वर्षका समय छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताया था। माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के विजन के तहत राज्य पर्यटन बोर्ड, राम वन गमन पर्यटन परिपथ के तहत चिन्हित सभी स्थानों को आस्था पर्यटन के रूप में विकसित कर प्रभु श्री राम और माता कौशल्या की स्मृतियों को लोगों के समक्ष जीवंत करने का अथक प्रयास कर रहा है। इस पर्यटन परिपथ के माध्यम से राज्य में न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि नए अवसर भी निकलकर सामने आएंगें। छत्तीसगढ़ के नागरिकों के भीतर प्रभु श्री राम के प्रति गहरी आस्था एवं भक्ति भाव कूट-कूट कर भरा है।हमारा प्रयास है कि हम प्रभु श्री राम से जुड़े इस समृद्ध विरासत और संस्कृति के प्रति लोगों के भीतर स्वामित्व की भावना को प्रोत्साहित एवं विकसित कर सकें ताकि वे प्रभु श्री राम से जुड़ी कहानियों को दुनिया के साथ साझा करने में गर्व महसूस करें। इस आयोजन का विस्तार आदिवासी महोत्सवों में भी किया जाएगा जो राज्य की आदिवासी संस्कृति के विभिन्न रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।” श्री अन्बलगन पी, पर्यटन सचिव, छत्तीसगढ़।

लोगों का मानना है कि छत्तीसगढ़ प्राचीन सभ्यताओं का राज्य है। अद्भुत नज़ारों से भरपूर इस भूमि में कोस-कोस पर ऐसे इलाकें दिखाई देते हैं जो आस्था-पर्यटन, पर्यावरण-पर्यटन, जन-जातीय-पर्यटन और साहसिक पर्यटन के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं। 

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